Betul Latest News: बारिश में बाढ़ के दौरान खटिया और झोली में महिलाओं को नदी पार कराने की तस्वीरें बैतूल में देखने को मिली है. इस दौरान चार जिंदगियों को जोखिम में डालने का वीडियो भी वायरल हुआ. महिला को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
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इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूल:एक बीमार महिला को बैलगाड़ी से उफनती नदी से पार कराना पड़ा है. पहले खटिया के जरिए नदी पार कराना और फिर झोली में बैठाकर बीमारों को अस्पताल लाने की तस्वीरें बैतूल से सामने आई है.हाल ही में समाने आई बेबसी की ये तस्वीर चिचोली इलाके के बोड़ रैय्यत की है. यहां एक महिला सुखमणि डायरिया से पीड़ित हुई तो गांव में इलाज के लाले पड़ गए.साथ ही गांव के पास से बहने वाली नदी में बाढ़ आई हुई थी और जब दो दिनों तक भी बाढ़ नहीं उतरी तो परिजनों ने बैलगाड़ी से नदी पार करने का जोखिम उठाया और फिर सुखमणि को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां उसकी हालत गंभीर है. बता दें कि उसकी किडनी पर असर हो गया है.
नदी का बहाव था तेज
दरअसल शुक्रवार को एक महिला सुखमणि इवने की उल्टी दस्त से तबीयत बिगड़ गई. यहां की भाजी नदी में बाढ़ आने के कारण परिवार वाले उसे अस्पताल नहीं ले जा सके. रविवार को महिला की हालत और ज्यादा गंभीर हो गई. तब परिवार वालों ने महिला की जान बचाने के लिए जोखिम उठाते हुए बैलगाड़ी से नदी पार कराई. इस दौरान नदी में कमर से नीचे तक पानी था, लेकिन तेज बहाव था. हालांकि महिला और उसके परिवार ने सुरक्षित नदी पार कर ली.
उल्टी और दस्त से महिला की तबीयत बिगड़ गई
बीमार महिला के पति दयाराम का कहना है कि नदी पर पुल नहीं है तो महिला को एक किलोमीटर तक बैलगाड़ी से मुख्य मार्ग तक ले गए और वहां किराए का वाहन लेकर उसे चिचोली अस्पताल ले गए. हालत गंभीर होने पर वहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. जिला अस्पताल के बैलून वार्ड में महिला को भर्ती कराया गया है. महिला का इलाज कर रही डॉ रानू वर्मा का कहना है कि उल्टी और दस्त से महिला की तबीयत बिगड़ गई थी और वह देरी से जिला अस्पताल पहुंची है. जिसके कारण उसकी किडनी में भी खराबी आ गई है. उसका इलाज चल रहा है.
पुल नहीं होने से होती है दिक्कत
वहीं सीमा इवने (महिला की बहन) का कहना है कि नदी पर पुल नहीं होने के कारण बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगर कोई बीमार हो जाए तो नदी पार करनी पड़ती है और बहुत डर लगता है. बता दें कि बैतूल की यह पहली तस्वीर नहीं है. इसके पहले भी गर्भवती महिलाओं को खाट पर रखकर नदी पार कराई गई तो वहीं प्रसव के बाद हालत बिगड़ने पर एक महिला को कंधे पर 3 किलोमीटर तक लाना पड़ा था.