Chhattisgarh News: पेंड्रा में जल संसाधन विभाग की लापरवाही से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. मलनिया बांध से निकले वाली मुख्य नहर की छोटी नहर खेत में खत्म हो जाती है जिससे खेतों की मेढ़ फूट जाने से खेतों में पानी भर जाता है और किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं.
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पेंड्रा। पेंड्रा-गौरेला-मरवाही में किसान जल संसाधन विभाग मरवाही की बड़ी लापरवाही का शिकार ग्रामीण हो रहे हैं. जिले के सबसे बड़े बांधों में से एक मलनीया जलाशय से निकलने वाली मुख्य नहर की शाखा नहर सीधे खेत में खत्म होती है. इससे खेतों में भरने वाले पानी से दर्जन भर किसानों की लगभग 50 एकड़ खेती खराब हो रही है. खेतों के मेढ़ टूट रहे हैं, पानी के लगातार भराव से खेत में मिट्टी कट कर नाले का स्वरूप ले ली है. इससे किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं.
कोरजा ग्राम का मामला
मामला कोरजा ग्राम का है. यहां किसान छत्तीसगढ़ बनने के बाद बने जिले के सबसे बड़े बांधों में से एक मलनिया जलाशय में जल संसाधन विभाग की लापरवाही का नतीजा भुगत रहे हैं. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में सिंचित रकबा का विस्तार करने के लिए मलानिया जलाशय का निर्माण किया गया जिससे लगभग 50 गांव में सैकड़ों हेक्टेयर किसानों की भूमि सिंचित की जाती है. साथ ही पेंड्रारोड में जल आपूर्ति भी इस बांध से ही करने की परियोजना चल रही है.
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ये लापरवाही पड़ी भारी
बांध से निकलने वाली मुख्य नहर की शाखा नहर ग्राम कोरजा में सीधे खेत में लाकर खत्म कर दी गई है. इस कारण बांध से छोड़ा जाने वाला पानी अन्य नहरों से होता हुआ शाखा नहर से सीधे खेत में पहुंच रहा है. शाखा नहर से लगातार पानी आने की वजह से किसानों के खेतों में पानी से बड़ा कटाव हो गया है. इससे खेत खराब हो गए हैं. खेतों की मेड टूट गई है. खेतों में ज्यादा पानी भरने से किसान खेती का काम नहीं कर पा रहे हैं.
किसानों का आरोप
किसानों का आरोप है कि नहर कागजो में पूरी बनी है पर धरातल पर नहीं. वही जल संसाधन विभाग मामले में तुरंत कार्रवाई करने की बात कह रहा है. यह समस्या पिछले एक-दो सालों से नहीं कई वर्षों से है पर विभाग में कई बार शिकायत करने के बाद भी किसी ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की. अपने खर्चे से व्यवस्था करने के बावजूद कोई लाभ नहीं हो रहा है.
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एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने दिए निर्देश
मीडिया ने पूरे मामले पर जल संसाधन विभाग को दी. जानकारी लगने के बाद एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने तुरंत जमीनी हमले को निर्देश दिया कि संबंधित किसान के खेत में जाकर मौका मुआयना कर पूरी स्थिति की जानकारी कार्यालय को उपलब्ध कराएं. साथ ही कागजों में हुए निर्माण की भी जानकारी उपलब्ध कराई जाए. यदि ऐसा हुआ है तो विभाग नहर पूरी बनाएगा जिससे किसानों को नुकसान ना हो.
किसानों को राहत की उम्मीद
मालाणी बांध निर्माण का कार्य लगभग 10 वर्षों पूर्व पूर्ण हो गया था. ऐसे में यदि किसान का आरोप सही है कि नहर निर्माण कागजों में ही हुआ है तो यह जरूर जांच का विषय है. हालांकि, जल संसाधन विभाग के वर्तमान एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने जिस तरह मामले पर संज्ञान लेकर तुरंत नहर निर्माण पूर्ण करने की बात कर रहे हैं निश्चय ही किसानों को अब राहत की उम्मीद है.
पेंड्रा-गौरेला-मरवाही से दुर्गेश सिह बिसेन की रिपोर्ट
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