वन विभाग के अफसरों ने कटी हुई लकड़ियों को जंगल में ही छोड़ दिया गया जो पड़े-पड़े खराब हो रही है तो कुछ लकड़ियों को ग्रामीण भी ले गए. इस मामले में अफसरों को बड़ी लापरवाही सामने आई है.
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शैलेंद्र सिंह बघेल/ बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में कूप की कटाई को लेकर वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. कटी हुई लकड़ियों को जंगल में ही छोड़ दिया गया जो पड़े-पड़े खराब हो रही है तो कुछ लकड़ियों को ग्रामीण भी ले गए. वहींं, मामला सामने आने के बाद विभाग के अधिकारी अब लकड़ी ढुलाई करने का हवाला देते नजर आ रहे हैं.
विभाग के काटे गए पेड़ों की ढुलाई अब तक नहीं हो पाई
दरअसल, पूरा मामला जिले के बलरामपुर वन परिक्षेत्र के पुतसुरा बीट का है जहां पर विभाग ने मार्च-अप्रैल महीने में बसकेपी और महकेपी के जंगलों से कूप की कटाई करवाई थी जिसका उद्देश्य था कि वनों में भीतर अनावश्यक वृक्षों को काटकर विभाग के डिपो के माध्यम से बेचकर शासन को राजस्व की प्राप्ति हो सके. विभाग के काटे गए पेड़ो की ढुलाई अब तक नहीं हो पाई. कुछ कटे हुए पेड़ों को तो विभाग डिपो तक ले आया लेकिन बहुत सारी लकड़ियों को विभाग जंगल के भीतर ही छोड़ गया जो अब पड़े-पड़े खराब हो रही हैं. कुछ लकड़ियों को ग्रामीण अपने घर ले गए.
क्या होती कूप की कटाई और कैसे मिलता है शासन को राजस्व
आपको बता दें कि वनों के भीतर अपनी आयु सीमा तय कर चुके वृक्षों के अलावा जो सूखे या फिर नए पेड़ों की वृद्धि में रोड़ा बनने वाले पेड़ों का चिन्हांकन कर विभाग इनकी कटाई करता है और लकड़ियों को वन विभाग द्वारा बनाये गए डिपो तक पहुंचाया जाता है जहां पर इनकी नीलामी होती. इसके अलावा कुछ जलावन लकड़ियों को बेचा जाता है जिससे शासन को राजस्व मिलता है लेकिन जिले में विभाग के कर्मचारी ही शासन के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
ग्रामीणों ने वन विभाग को बताया दोषी
वहींं, पांच महीने से जंगल के भीतर पड़े हुए कटे पेड़ों को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि कूप कटाई कर लकड़ी को डिपो तक पहुंचाने का काम वन विभाग का रहता है जिसको बेचकर शासन को राजस्व की प्राप्ति होती है लेकिन यहां पर विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही से कटी हुई लकड़ियों पड़े-पड़े सड़ रही है तो कुछ चोरी भी हो चुकी है.
अधिकारियों की दलील भी आई सामने
वहींं, मामला उजागर होने के बाद विभाग के अधिकारी अब जंगल मे पड़ी हुई लकड़ियों को उठवाने का हवाला देते नजर आ रहे हैं लेकिन सवाल यही है कि अब तक लकड़ियों की ढुलाई क्यों नहीं की गई और क्या इसमें दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी या फिर विभाग हर बार की तरह स्टाफ की कमी का हवाला देकर मामले को रफा दफा कर देगा.
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