Gandhi Temple of Dhamtari:छत्तीसगढ़ का ये मंदिर है बेहद खास, यहां होती है गांधी देवता की पूजा
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Gandhi Temple of Dhamtari:छत्तीसगढ़ का ये मंदिर है बेहद खास, यहां होती है गांधी देवता की पूजा

Gandhi Temple of Dhamtari, Chhattisgarh: गुरूदेव दुखू ठाकुर ने गांधी मंदिर की स्थापना की थी. बता दें कि गांधी मंदिर धमतरी जिला मुख्यालय से गंगरेल बांध के रास्ते 40 किलोमीटर और सड़क मार्ग से करीब 70 किलोमीटर दूर सटियारा गांव में मौजूद है.

Gandhi Temple of Dhamtari, Chhattisgarh:

देवेंद्र मिश्रा / धमतरी: धर्म और देशभक्ति का संगम देखना हो तो धमतरी के सटियारा से बेहत्तर कोई जगह नही है.यह प्रदेश का ही नही बल्कि शायद देश का इकलौता गांधी मंदिर है, जहां पर लोग देवी-देवताओं के साथ स्वतंत्रता संग्राम के नायक महात्मा गांधी की पूजा करते हैं.गंगरेल बांध की खूबसूरत हसीन वादियों के पीछे बसे सटियारा गांव में गांधी और उनके विचारों की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है.

गुरूदेव दुखू ठाकुर महात्मा गांधी के परमभक्त थे
गांधी जी का यह मंदिर धमतरी जिला मुख्यालय से गंगरेल बांध के रास्ते 40 किलोमीटर और सड़क मार्ग से करीब 70 किलोमीटर दूर सटियारा गांव में मौजूद है.यहां जाने के लिए गंगरेल से नाव या फिर बोट का सहारा लेना पड़ता है. इसके अलावा सड़क मार्ग से जाने कांकेर जिले के चारामा से होकर जाना पड़ता है.यहां सटियारा में भारत माता सेवा समिति द्वारा गांधी मंदिर का संचालन किया जाता है.बताया जाता है कि समिति से जुडे़ लोगों के गुरूदेव दुखू ठाकुर महात्मा गांधी के परमभक्त थे और वह गांधी विचारों को आगे बढ़ाने गंगरेल के डूबान में गांधी मंदिर की स्थापना की थी.

दुख-संताप होते हैं दूर 
उन्होंने अपने साथ विभिन्न स्थानों के कई परिवारों को भी जोड़ा और उनसे गांधीजी के विचारों को आगे बढ़ाने और उनके साथ काम करने का आह्वान किया. गंगरेल बांध के निर्माण के कारण मंदिर जलमग्न हो गया था, जिसे बाद में नदी के तट पर फिर से बनाया गया था.तब से लेकर आज तक गुरुदेव और गांधीजी की पूजा होती आ रही है. इसके अलावा यहां भारत माता की भी पूजा की जाती है. हालांकि उनकी पूजा का तरीका अन्य जगहों से अलग है, लेकिन मंदिर समिति के लोग चावल के आटे का इस्तेमाल करते हैं.उनका मानना है कि यहां पूजा करने से दुख-संताप दूर होते हैं. इस गांधी मंदिर में लगभग सभी त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं.नवरात्रि में यहां कामना की ज्योत भी जलाई जाती है, राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस झंडा फहराकर मनाया जाता है.

मूलभूत सुविधाओं का है अभाव 
मंदिर समिति के एक सदस्य ने कहा कि गांधी मंदिर के नाम से जाने वाली इस जगह में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.यहां नाव या फिर पंगडंडी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है.पहाड़ी और घने जंगल होने की वजह से लोगों को जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है.यदि रास्ता बन जाता है कि तो आने-जाने वाले लोगों को आसानी हो सकती है.वहीं यह क्षेत्र पर्यटन में भी जुड़ सकता है.

जिला कलेक्टर का कहना है कि ये प्राचीन मंदिर पानी से लगा हुआ है.गांधी जंयती पर यहां कार्यक्रम आयोजित करने सहित मंदिर क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने प्रयास किया जाएगा.बहरहाल यहां के लोग आज भी गांधी जी की पूजा के साथ उनके विचारों को आत्मसात कर रहे हैं और दूसरों को भी गांधीवादी विचारों पर चलने का संदेश दे रहे हैं.जो इस दौर में बहुत ही कम दिखाई देती है.

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