धमतरी: शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा में डेढ़ दशक बाद बड़ी कार्रवाई, मुख्य आरोपी जनपद सीईओ गिरफ्तार
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1266824

धमतरी: शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा में डेढ़ दशक बाद बड़ी कार्रवाई, मुख्य आरोपी जनपद सीईओ गिरफ्तार

फर्जी डिग्री वालों को शिक्षाकर्मी की नौकरी देने वाले मगरलोड जिले के तत्कालीन सीईओ कमलाकांत तिवारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

धमतरी: जिले के जनपद पंचायत मगरलोड में वर्ष 2007 में शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती के फर्जीवाड़े के मामले में डेढ़ दशक बाद अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है. दरअसल, विभाग ने वर्ष 2007 में धमतरी जिले के जनपद पंचायत मगरलोड में कक्षा 3 के शिक्षाकर्मियों की भर्ती के लिए 150 शिक्षाकर्मियों की भर्ती की अनुमति दी थी, लेकिन जिले में कुल 172 पदों पर भर्तियां हुईं. तब आरोप लगे थे कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे सैकड़ों शिक्षा कर्मियों की भर्ती चयन समिति और छानबीन समिति द्वारा कर दी गई है.

ओवैसी की पार्टी की खरगोन में चौंकाने वाली एंट्री, अरुणा उपाध्याय समेत तीन पार्षद जीते चुनाव

अधिकारी की हुई गिरफ़्तारी
शिक्षाकर्मी भर्ती वर्ष 2007 में हुई. शिक्षाकर्मियों की भर्ती के दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत जुलाई 2011 में देने के बाद भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत पुलिस से की गई. मामला परवान चढ़ा तब सीआईडी पुलिस रायपुर द्वारा इसकी जांच की गई. जिसके बाद एफआईआर दर्ज हुई और अब 10 वर्ष 9 माह बाद की विवेचना के बाद जिला पुलिस ने भर्ती समिति से जुड़े अधिकारी की गिरफ़्तारी की है. मामले के मुख्य आरोपी पूर्व जनपद पंचायत सीईओ कमलाकांत तिवारी वर्तमान में जिला पंचायत दुर्ग में बतौर परियोजना अधिकारी पदस्थ है.जिन्हें पुलिस ने भिलाई स्थित उनके निवास से गिरफ्तार किया. पुलिस ने इस मामले में ठगी की धाराओं के साथ ही एसटी-एससी एक्ट के तहत भी प्रावधान जोड़े हैं.

कई शिक्षाकर्मियों की सेवाएं हो चुकी हैं समाप्त
उल्लेखनीय है कि शिक्षाकर्मियों के तृतीय श्रेणी के स्वीकृत 150 पदों के विरूद्ध कुल 172 पदों पर भर्ती की गयी थी. उनके आदेश कई बार अलग-अलग जारी किए गए, जिसमें उम्मीदवार के आवास का पता छिपाया गया. उनके परिवार के कई सदस्यों को चयन समिति के सदस्यों द्वारा तृतीय शिक्षा कर्मी के पद पर नियुक्त किया गया था. इस मामले में अब तक 19 शिक्षाकर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं और दर्जनों शिक्षाकर्मियों ने इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा, मगरलोड पुलिस ने 17 शिक्षाकर्मियों को गिरफ्तार कर चार्जशीट दाखिल की है. जिस पर कोर्ट ने उन्हें कड़ी सजा दी है. आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू की शिकायत पर जांच की गई थी. बता दें कि तत्कालीन जिलाध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत चयन समिति से जुड़े कई लोगों को जेल का सामना करना पड़ा था.

Trending news