'दहेज प्रताड़ना को हथियार बनाना पति और ससुराल पर क्रूरता', छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
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'दहेज प्रताड़ना को हथियार बनाना पति और ससुराल पर क्रूरता', छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

Chhattisgarh High Court : बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है, कि दहेज प्रताड़ना के केस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना पति व ससुराल वालों के साथ क्रूरता की श्रेणी में आता है. ऐसे में पति अपनी पत्नी से तलाक लेने का अधिकार रखता है.

'दहेज प्रताड़ना को हथियार बनाना पति और ससुराल पर क्रूरता', छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है, कि दहेज प्रताड़ना के केस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना पति व ससुराल वालों के साथ क्रूरता की श्रेणी में आता है. ऐसे में पति अपनी पत्नी से तलाक लेने का अधिकार रखता है. इसी को आधार मानकर हाईकोर्ट ने डॉक्टर पति की तलाक की अपील को स्वीकार कर उसे पत्नी से तलाक पाने का हकदार माना है और महिला टीचर पत्नी को हर माह 15 हजार रु भरण पोषण देने का आदेश दिया है.

किस केस में कोर्ट ने दिया फैसला
बता दें मूलत: सरगुजा जिले के चांदनी थाना क्षेत्र की युवती की शादी साल 1993 में डॉ रामकेश्वर सिंह के साथ हुई थी. महिला कोरबा जिले के बालको में प्राइवेट टीचर हैं. डॉ रामकेश्वर कोंडागांव के मर्दापाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ हैं. शादी के कुछ साल बाद दोनों में अनबन हुई और वे अलग रहने लगे. पत्नी के अलग रहने पर डॉक्टर ने 1996 में तलाक के लिए परिवाद दायर किया, जिसके बाद उनकी पत्नी ने चांदनी थाना में धारा 498ए के तहत दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करा दिया था.

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कोर्ट ने पति को माना चलाक का हकदार
डॉ रामकेश्वर सिंह की पत्नी ने अपने पति, सास, ससुर, देवर व ननद समेत अन्य को आरोपी बनाया था. निचली अदालत में ट्रॉयल के दौरान आरोप साबित नहीं होने पर पति और ससुरालवालों को बरी कर दिया गया. बाद में डॉक्टर ने साल 2013 में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए परिवाद दायर किया था, जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को तलाक का हकदार माना है.

क्या कहा हिलासपुर हाईकोर्ट ने
डॉ रामकेश्वर सिंह केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने महिला के वकील के तर्कों को भी सुना. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि शादी के बाद से दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाते रहे हैं. साल 1996 के बाद से दोनों पक्ष अलग-अलग रह रहे हैं और अदालतों में मुकदमेबाजी करते रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि दहेज प्रताड़ना के केस को महिला ने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है, जो पति और ससुरालवालों के साथ क्रूरता है. इस तरह के केस में वैवाहिक संबंध टूटने के बाद जोड़ना संभव नहीं है. इन परिस्थितयों में कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए तलाक का आदेश दिया है. 

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