पति-पत्नी के बीच झगड़ा चल रहा है या पति-पत्नी दोनों अलग-अलग भी रह रहे हैं. इस आधार पर महिला को गर्भपात कराने का इजाजत नहीं दी जा सकती है. छत्तीसगढ़ की बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है.
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CG News/शैलेंद्र सिंह ठाकुर: पति-पत्नी के बीच अगर झगड़ा है तब भी महिला को अबॉर्शन यानी गर्भपात की इजाजत नहीं है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने गर्भपात की अनुमति मांगने वाली एक महिला की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पति-पत्नी के बीच संबंध बिगड़ने के आधार पर गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती. खारिज करते हुए यह भी कहा कि भारत में अब भी अबॉर्शन को अपराध की तरह माना जाता है.
कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए यह भी कहा कि भारत में अभी भी अबॉर्शन को अपराध की तरह माना जाता है. दरअसल, एक महिला ने अपने पति के साथ रिश्ते में आए तनाव के मद्देनजर गर्भपात की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उसका कहना था कि इस हालत में वह बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गर्भपात की अनुमति सिर्फ इस आधार पर नहीं दी जा सकती के पति-पत्नी के बीच संबंध बिगड़ गए हैं.
क्या है मामला
29 वर्षीय महिला की शादी साल 2022 में हुई थी. इस बीच महिला ने गर्भधारण किया, लेकिन कुछ समय के बाद पति-पत्नी के बीच रिश्ता बिगड़ने लगा झगड़े होने लगे. इस पर महिला ने गर्भपात कराने का फैसला कर लिया. महिला ने हाई कोर्ट से गर्भपात की इजाजत के लिए याचिका दायर की थी. अपने आदेश में जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी यौन अपराध के चलते गर्भवती नहीं हुई है. वह एक शादीशुदा महिला हैं, जो यह भी दावा नहीं कर रही हैं कि उन्हें पति के अलावा किसी और व्यक्ति ने गर्भवती किया है.
इस कानून का दिया हवाला
अगर यह कोर्ट रिट याचिका में किए गए दावों के आधार पर गर्भपात कराने की मांग कर रहीं याचिकाओं पर विचार शुरू कर देगा, तो 1971 के इस एक्ट का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा. यह कहते हुए हाईकोर्ट ने महिला की गर्भपात कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी.