छत्तीसगढ़ में जीवन के लिए आवश्यक अंगों का दान करने कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है. इससे जरूरतमंद मरीजों और परिजनों को देश भर में भटकना पड़ता है. इस संबंध में लगाई गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने भूपेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
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शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में जीवन के लिए आवश्यक अंगों का दान करने कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है. इससे जरूरतमंद मरीजों और परिजनों को देश भर में भटकना पड़ता है. इसे लेकर एक लीवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट की महिला मरीज ने जनहित याचिका लगाई थी. मामले में सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस मामले में भूपेश सरकार से 17 अगस्त तक जवाब मांगा है.
इस महिला का जनहित याचिका पर नोटिस
दरअसल बिलासपुर निवासी महिला आभा सक्सेना ने एडवोकेट अमन सक्सेना के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर कर बताया कि राज्य भर में 250 ऐसे मरीज हैं, जिन्हे किडनी, लंग्स, कोर्निया, लीवर, हार्ट में से किसी एक की जरूरत है. नियम के अनुसार केवल लाइव डोनर मतलब कोई रक्त सम्बन्धी इसे दे सकता है या एक ब्रेन डेड घोषित व्यक्ति से ही लेकर यह ट्रांसप्लांट हो सकता है.
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छत्तीसगढ़ में ब्रेन डेड ट्रांसप्लांट के लिए कोई व्यवस्था नहीं
राज्य में सिर्फ लाइव डोनर ट्रांसप्लांट हो सकता है, लेकिन ब्रेन डेड ट्रांसप्लांट कराने की कोई व्यवस्था नहीं है. ट्रांसप्लांट ऑफ ह्युमन ओर्गैंस एक्ट केंद्र सरकार ने वर्ष 1994 में पारित कर इसे 2011 में संशोधित कर दिया. छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे स्वीकृत किया है. मगर यहां सिर्फ लाइव डोनर ट्रांसप्लांट ही होता है. ब्रेन डेड के लिए अलग से सेल बनाना होगा. राज्य में इसके लिए साटो का गठन दूसरे राज्यों की तरह एक साल पहले हो चुका है.
याचिकाकर्ता ने की साटो के लिए फंडिंग की मांग
ब्रेन डेड के लिए लोगों को राज्य से बाहर जाकर रजिस्टर्ड होना पड़ता है. वहां से उन्हें शॉर्ट नोटिस पर ही बुलाया जाता है. उसी समय जाने पर यह सम्भव होता है. चीफ जस्टिस की डीविजन बेंच में याचिकाकर्ता के वकील ने साटो के लिए शासन से फंडिंग देने और इसके लिए कोर्डिनेशन शुरू करने की मांग रखी. इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर 17 अगस्त तक जवाब मांगा है.
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