छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले के एक हॉस्पिटल में होश उड़ा देने वाला मामला सामने आया था. हॉस्पिटल के आईसीयू में एक मरीज को लाल चींटियां नोंच रही थी.
Trending Photos
हितेश शर्मा/दुर्ग: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिले दुर्ग में एक बार फिर zee मीडिया की खबर का जबरदस्त असर हुआ है. zee मीडिया ने प्रमुखता के साथ 2 दिन पहले ही अपने दर्शकों को एक खबर दिखाई थी जिसमें दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकार हॉस्पिटल में आईसीयू में एडमिट एक मरीज के चेहरे को चींटियां नोंच रही थी.
रिपोर्ट में की गई ये अनुशंसा
मामले के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग ने जांच टीम का गठन किया और इसमें जांच की गई जांच रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपी गई है.चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल की लापरवाही उजागर हुई है. रिपोर्ट में अस्पताल के डॉक्टर, नर्स, स्टाफ और अटेंडर की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की अनुशंसा की गई है.
आईसीयू में परिजन पहुंचे तो उड़े होश
दरअसल, दुर्ग जिले में एक भयावह मामला सामने आया था जब मरीज को 25 सितंबर को इलाज के लिए दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकार हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद 28 सितंबर को मरीज रामा साहू को आईसीयू में मरीज भर्ती था लेकिन जब परिजनों ने मिलने के लिए कहा तो उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा था. तभी एकाएक मरीज के परिजन आईसीयू में पहुंचे. तब वहां की स्थिति देखकर उनके भी होश उड़ गए. मरीज रामा साहू के चेहरे पर सांस लेने वाली नली में लाल चींटियां नोंच रही थी जिसकी खबर ज़ी मीडिया को लगी. Zee मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता के साथ अपने दर्शकों को दिखाया था.
नोंच रही थीं लाल चींटिया
डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन जब डॉक्टर ही मरीज को व्यापार का जरिया समझ ले तब इसे क्या कहें. कुछ ऐसा ही हादसा 29 सितंबर को सामने आया जब दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकार मेमोरियल हॉस्पिटल नेहरू नगर सुपेला में देखने को मिला जहां आईसीयू में भर्ती मरीज रामा साहू के इलाज में अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों की घोर लापरवाही सामने आई थी. हॉस्पिटल का आईसीयू वार्ड जो सबसे हाइजीन वार्ड कहलाता है. आईसीयू में भर्ती मरीज रामा साहू को श्वसन नली लगाई गई थी वहां हजारों चींटियां चल रही थी. वह भी खतरनाक लाल चींटी जिंदगी औऱ मौत से जूझ रहे रामा साहू को लाल चींटिया नोच नोंचकर खा रही थीं.
जिंंदगी और मौत के बीच चला संघर्ष
जब इस मरीज की हालत की जानकारी चंदूलाल चन्द्राकर अस्पताल प्रबधन को दी गई तो आनन फानन में मरीज के श्वसन नली को निकाला गया और नई श्वसन नली लगा दी गई. फिलहाल मरीज का इलाज उसी अस्पताल में चल रहा है और मरीज जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है लेकिन अस्पतालों में इस तरह की लापरवाही जब सामने आती है तो यकीन मानिए डॉक्टर और अस्पताल दोनों से ही मरीज के परिजनों का भरोसा उठ जाता है.
अस्पताल को बचाने पर तुला प्रशासन
बहरहाल, इस पूरे मामले पर परिजन कुछ भी बोलने से बच रहे हैं क्योंकि मरीज रामा साहू का इलाज अब भी चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में ही चल रहा है. फिलहाल जांच कमेटी ने डॉक्टर, नर्स स्टाफ को निलंबित करने का अभिमत तो दे दिया है लेकिन अस्पताल के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिससे प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अस्पताल को बचाने पर तुले हुए हैं.
महाकाल परिसर को बनाने के लिए फ्रांस सरकार ने दिए हैं 80 करोड़ रुपये, ये है वजह