वैज्ञानिक को नहीं याद था घर वालों का नंबर? साइंटिस्ट के चक्कर में 4 दिन घनचक्कर बनी रही MP पुलिस
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वैज्ञानिक को नहीं याद था घर वालों का नंबर? साइंटिस्ट के चक्कर में 4 दिन घनचक्कर बनी रही MP पुलिस

Forensic Scientist Missing: राजधानी भोपाल से दिल्ली इंटरव्यू के लिए निकलने वैज्ञानिक का बैग, पर्स और मोबाइल चोरी हो गया. घर वालों का नंबर याद नहीं होने के चलते उनका किसी से संपर्क नहीं हो पाया. इधर बातचीत ना होने के चलते घर वालों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी. 

वैज्ञानिक को नहीं याद था घर वालों का नंबर? साइंटिस्ट के चक्कर में 4 दिन घनचक्कर बनी रही MP पुलिस

Scientist Pankaj Mohan Missing: भोपाल की फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी के साइंटिस्ट पंकज मोहन कई दिन तक लापता थे. वे 18 जनवरी को राजधानी भोपाल से इंटरव्यू के लिए दिल्ली गए थे. इसी दौरान उनका बैग और मोबाइल चोरी गया था. जिस वजह से उनका सभी लोगों से संपर्क टूट गया था. बातचीत बंद होने के कारण घर वालों ने लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस चक्कर में पुलिस को भी घनचक्कर काटना पड़ा. उनके सामने आने के बाद पुलिस को राहत मिली. वहीं, उनके भोपाल पहुंचने पर पुलिस ने उनके बयान दर्ज किए हैं. आइए जानते हैं क्या कुछ बोले साइंटिस्ट पंकज मोहन...

दरअसल, भोरपाल के साइंटिस्ट पंकज मोहन 18 जनवरी को लापता हुए थे. इसके बाद वो 23 जनवरी को सामने आएं. इस दौरान उनका सभी लोगों से संपर्क टूट गया था. रविवार को भोपाल लौटने पर उन्होंने पुलिस को अपनी कहानी सुनाई है. साइंटिस्ट पंकज मोहन ने पुलिस को बताया कि 19 जनवरी को मथुरा पहुंचने पर अपनी पत्नी से आखिरी बार फोन पर बातचीत की थी. इसके बाद हम सो गए. अगले दिन सुबह, 20 जनवरी को दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन पर ट्रेन स्टाफ ने मुझे उठाया. इसके बाद जब मैनें चेक किया तो पाया क बैग, जिसमें इंटरव्यू की फाइल और दस्तावेज थे, साथ ही पर्स और मोबाइल फोन चोरी हो चुके थे.

एटीएम कार्ड था बाहर
 साइंटिस्ट पंकज मोहन ने पुलिस को आगे बताया, "मैनें  एटीएम कार्ड को अलग पैंट की जेब में रख लिया था. बाहर निकलने के बाद एसबीआई के एक एटीएम से 10,000 रुपए निकाले. इसके बाद इस पैसे से एक होटल में रूम बुक किया. लेकिन, दस्तावेज न होने के वजह से विभागीय इंटरव्यू में शामिल नहीं हो सका". उन्होंने बताया कि वापस लौटने केलि मैनें ट्रेन में रिजर्वेशन कराने की कोशिश की. परंतु सीट उपलब्ध नहीं होने की वजह से मुझे दो दिनों तक दिल्ली ही रहना पड़ा. 

क्यों नहीं हो पाया घर वालों से बात?
वहीं, उन्होंने बताया कि परिजनों का मोबाइल नंबर याद नहीं था. इस वजह से उनका किसी से संपर्क नहीं हो पाए. उन्होंने बताया कि समाना चोरी होने की सूचना मैंने जीआरपी या लोकल पुलिस को नहीं दी. 22 जनवरी को जब मैं उज्जैन पहुंचा तो मुझे जानकारी मिली की परजिनों द्वारा मेरे गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है. इसके बाद मैनें तुरंत पुलिस से संपर्क किया. 

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