MP Vidhan Sabha Chunav: मध्य प्रदेश में इस बार बीजेपी और कांग्रेस ने परिवारवाद के आधार पर टिकट न देने के खूब वादे किए थे. लेकिन दोनों पार्टियों ने बात से ज्यादा परहेज नहीं किया है.
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MP Vidhan Sabha Chunav: मध्य प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही बीजेपी और कांग्रेस वशंवाद के आधार पर टिकट न देने के दावे तो खूब किए थे. लेकिन एमपी की सियासत में वंशवाद की बेल की जड़े अब गहरी हो चुकी है. ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने विरासत में मिली सियासत पर ही भरोसा जताया है. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी दोनों ही पार्टियों से आठ पूर्व मुख्यमंत्री और दो पूर्व उपमुख्यमंत्रियों के परिजनों को सीधे विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया है. जो अलग-अलग विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं.
दावों से इतर है चुनावी हकीकत
मध्य प्रदेश में यूं तो बीजेपी और कांग्रेस ने परिवारवाद पर कई दावे किए थे. लेकिन चुनाव में इससे किसी भी दल ने परहेज नहीं किया. बीजेपी और कांग्रेस ने इस बार के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 40 से ज्यादा उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है, जिनके परिजन प्रदेश की राजनीति में एक्टिव रहे हैं. इनमें कुछ प्रत्याशियों के परिजन तो एक वक्त प्रदेश की राजनीति में बड़े पदे पर रहे हैं.
आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिजन लड़ रहे चुनाव
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दो पूर्व उपमुख्यमंत्रियों के परिजन भी लड़ रहे चुनाव
पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा सूबे के दो उपमुख्यमंत्रियों के परिजन भी चुनाव मैदान में हैं. जिनमें पूर्व डिप्टी सीएम सुभाष यादव के बेटे सचिन यादव खरगोन जिले की कसरावद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि पूर्व डिप्टी सीएम जमुना देवी के भतीजे उमंग सिंघार धार जिले की गंधवानी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. ये दोनों 2018 में भी विधायक चुने गए थे. जबकि विधानसभा अध्यक्ष रहे बृजमोहन मिश्रा की बेटी अर्चना चिटनिस भी बुरहानपुर से चुनाव लड़ रही हैं, इसी तरह सीताराम साधौ की बेटी विजयलक्ष्मी साधौ भी महेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं.
इन नेताओं के परिजन भी लड़ रहे चुनाव
40 सीटों पर नेताओं के परिजन
इन नेताओं को मिले टिकट पर गौर किया जाए तो बीजेपी और कांग्रेस ने पीढ़ी दर पीढ़ी नेताओं को लगातार टिकट दिया है. प्रदेश की करीब 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं. जिनमें नेताओं के परिवार से जुड़े प्रत्याशी मैदान में हैं. यानि बीजेपी और कांग्रेर ने परिवारवाद पर टिकट देने से किसी तरह का कोई परहेज नहीं किया है. खास बात यह है कि इनमें से कई नेता लगातार विधानसभा चुनाव भी जीत रहे हैं. ऐसे में नई विधानसभा में परिवारवाद की पूरी झलक देखने को मिलेगी.
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