आशीर्वाद का पखवाड़ा-

पितृ पक्ष पितरों के आशीर्वाद प्राप्ति का पखवाड़ा होता है.

Nikita Chauhan
Sep 14, 2023

तिथियों का विशेष महत्व-

पितृ पक्ष 16 दिनों के लिए बनाए जाते हैं. इसी के साथ पितृ पक्ष में 3 तिथियों का विशेष महत्व माना गया है. इस दौरान आपने पितरों की तृप्ति के लिए कई तरह के कार्य करते हैं, जिससे खुश होकर वो आपको आशीर्वाद देते हैं.

नहीं मिलता आशीर्वाद-

अगर आप पितृ पक्ष में इन तिथियों पर अपने पितरों के लिए कोई भी कार्य नहीं करतो तो आपको उनका आशीर्वाद भी नहीं प्राप्त होता.

पितृ पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां-

हिंदू धर्म के अनुसार, पितृ पक्ष की सभी तिथियां महत्वपूर्ण मानी जाती है. क्योंकि, हर तिथि पर किसी न किसी के पितर का देहांत हुआ होता है और वे उनके लिए श्राद्ध, तर्पण आदि करते हैं.

मगर पितृ पक्ष में भरणी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध और सर्व पितृ अमावस्या या अमावस्या श्राद्ध की तिथियां महत्वपूर्ण हैं.

भरणी श्राद्ध-

2 अक्टूबर को चतुर्थी श्राद्ध के साथ ही भरणी श्राद्ध भी लग रहा है. भरणी नक्षत्र का मुहूर्त शाम 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के एक साल के बाद भरणी श्राद्ध करना बेहद जरूरी है.

ज्योतिष के अनुसार, अविवाहित मरने वाले लोगों का श्राद्ध पंचमी तिथि में किया जा हैं और उस दिन भरणी नक्षत्र हो तो और भी अच्छा माना जाता है.

नवमी श्राद्ध-

पितृ पक्ष के नवमी श्राद्ध को मातृ श्राद्ध या मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है. इस साल 7 अक्टूबर को नवमी श्राद्ध है. इस तिथि पर मां, दादी, नानी पक्ष का श्राद्ध किया जाता है.

अगर आप इस दिन उनके लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि नहीं करते हैं तो वे नाराज हो सकते हैं, जिसकी वजह से आपको पितृ दोष भी लग सकता है.

सर्व पितृ अमावस्या या अमावस्या श्राद्ध-

आश्विन अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या या अमावस्या श्राद्ध किया जाता है. इस साल 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या है.

सर्व पितृ अमावस्या पर उन लोगों के लिए श्राद्ध किया जाता है, जिनके निधन की तिथि मामलू नहीं होती है या आप को अपने पितर ज्ञात नहीं हैं.

सर्व पितृ अमावस्या वाले दिन आप ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि करते हैं.

VIEW ALL

Read Next Story