पार्टनर के साथ इस जगह जाना न भूलें, जहां Mirza Ghalib ने रचीं प्यार को परवान चढ़ाने वाली शायरियां
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पार्टनर के साथ इस जगह जाना न भूलें, जहां Mirza Ghalib ने रचीं प्यार को परवान चढ़ाने वाली शायरियां

Mirza Ghalib: उर्दू शायरी और कविता के बादशाह मिर्जा गालिब की हवेली है, जो कि पुरानी दिल्ली के कासीम जान बल्लीमारान नाम की गली में है. इस भीड़-भाड़ वाली तंग गली में है. 

पार्टनर के साथ इस जगह जाना न भूलें, जहां Mirza Ghalib ने रचीं प्यार को परवान चढ़ाने वाली शायरियां

Delhi Monuments: आज की युवा पीढ़ी अकसर अपने गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड को रिझाने के लिए मोबाइल चैट और एसएमएस में मिर्जा गालिब की शेरों-शायरी का जमकर इस्तेमाल करती है, लेकिन क्या यह जानते हैं जिसकी शायरी से वो अपने पार्टनर को इंप्रेस करते हैं, उसके रचनाकार ने पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में अपने जीवन के नौ साल बिताए थे.  
 
दिल्ली में देश की कई ऐतिहासिक जगहें हैं जिसे देश-विदेश से लोग देखने आते हैं. दिल्ली में लोग घूमने के इरादे से आते हैं तो लेकिन फेमस जगहों पर ही घूमते हैं. लेकिन दिल्ली में इन जगहों के अलावा भी ऐसी जगह हैं जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं. इतना ही नहीं दिल्ली में लंबे समय से रह रहे लोग भी अपनी व्यस्त जीवन के चलते कई ऐतिहासिक जगहों से रूबरू नहीं हो पाते. आज हम आपको पुरानी दिल्ली में मौजूद मिर्जा गालिब की हवेली के बारे में बताएंगे जिसे सरकार करीब दो दशक पहले धरोहर घोषित कर चुकी है. तो चलिए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. 

उर्दू शायरी और कविता के बादशाह मिर्जा गालिब की हवेली है, जो कि पुरानी दिल्ली के कासीम जान बल्लीमारान नाम की गली में है. इस भीड़-भाड़ वाली तंग गली में सुंदर दरवाजा है वो इस हवेली का है. गालिब की इस हवेली को भारतीय पुरातत्व विभाग ने घरोहर घोषित किया हुआ है. 

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हवेली का इतिहास
गालिब इस हवेली में आगरा से आने के बाद रहे थे. ऐसा कहा जाता है कि गालिब अपनी शादी के यहां रहने के लिए आए थे. गालिब की मौत के बाद यहां साल 1999 तक बाजार लगता था और 1999 के बाद सरकार ने इस जगह को धरोहर घोषित कर दिया था. फिर इस हवेली की मरम्मत कराई गई और इसे वापस से मुगलकाल जैसा रूप दिया गया. जिसके लिए लाखौरी ईंटों और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया. गालिब को समझने के लिए इस हवेली में जरूर जाएं. हवेली में अंदर जाते ही आपको उनके द्वारा लिखे-बोले गए शेर देखने पढ़ने को मिलेंगे. गालिब का एक शेर- उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा गालिब, हम बयाबान में हैं और घर में बहार आई है. 

हवेली को बनाया म्यूजियम
जब दिल्ली सरकार ने इसे अपने अंतर्गत लिया तो इस गालिब की हवेली को म्यूजियम में बदला गया. गालिब और उनके शायरी से जुड़ी चिजों को यहां सहेज कर रखा गया है. यहां गालिब की किताबों के साथ उनके हाथ से लिखी शायरियों को भी रखा गया है. बता दें कि मिर्जा हुक्के का शौक रखते थे इसलिए म्यूजियम में उनका एक रूप रखा गया है जो हाथ में हुक्का लिए बैठा है.  
इस हवेली में लगी गालिब की मूर्ति का अनावरण दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिसंबर 2010 में किया था. इसे मशहूर मूर्तिकार रामपूरे ने बनाया है.

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नजदीकी मेट्रो स्टेशन
अगर आप मेट्रो से जा रहे हैं तो चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन उतरना होगा. यहां से गालिब की हवेली पास में ही है. लाखों की संख्या में टूरिस्ट, साहित्य और कला प्रेमी इस हवेली को देखने के लिए आते हैं. 

सोमवार को बंद रहती है हवेली 
मिर्जा गालिब की हवेली सोमवार के दिन बंद रहती है. इसके अलावा आप किसी भी दिन यहां घूमने जा सकते हैं और फोटो भी खींच सकते हैं. इस हवेली में घूमने की कोई टिकट नहीं होती मतलब यहां आप फ्री में घूमकर आ सकते हैं. 

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