Twitter: एलन मस्क के ट्विटर पर Exclusive report, जानें किस्सा ब्लू टिक का
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Twitter: एलन मस्क के ट्विटर पर Exclusive report, जानें किस्सा ब्लू टिक का

Twitter हमेशा विवादों में बना ही रहता है. आज हम इसके इतिहास के बारे में आपको बताएंगे कि Blue Tick की शुरुआत कब और कैसे हुई. वहीं हम जानेंगे कि ब्लू टिक को लेकर ट्विटर के अधिकारियों ने कितनी घूस मांगी.

Twitter: एलन मस्क के ट्विटर पर Exclusive report, जानें किस्सा ब्लू टिक का

शिवांक मिश्रा/नई दिल्ली: अगर हम आपसे इस समय पूछें कि इंटरनेट पर इस समय सबसे चर्चित विषय क्या है, तो आपका भी जवाब ब्लू टिक होगा. एलन मस्क के ट्विटर का प्रमुख बनने के बाद किसी भी दिन उनका प्रस्तावित $8 डॉलर प्रति महीने वाला ब्लू टिक सब्स्क्रिप्शन विश्वभर में शुरू हो सकता है. अब लोग हर महीने 8 डॉलर देकर ब्लू टिक वाला राजाओं वाला फील प्राप्त कर सकते हैं. ट्विटर पर ब्लू टिक की कहानी जितनीं रोचक है, उतनी ही विवादित भी है.

इन सबके बीच अब ट्विटर के ब्लू टिक पर एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति ने ट्विटर के मौजूदा प्रमुख एलन मस्क को ट्वीट कर बताया कि उससे ट्विटर के पूर्व कर्मचारियों ने कुछ समय पहले ब्लू टिक के लिए 15 हजार डॉलर की घूस की मांग की थी. इस व्यक्ति ने अपने चैट के स्क्रीनशॉट्स भी शेयर किए और ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने इस व्यक्ति की बात का समर्थन भी किया. ट्विटर का घूस वाला ब्लू टिक सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित नहीं था. आज हम भारत में भी ब्लू टिक के एवज में घूस मांगे जाने का खुलासा करेंगे, लेकीन इससे पहले आप ब्लू टिक का इतिहास जान लीजिए.

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ट्विटर का इतिहास
ट्विटर ने ब्लू टिक की शुरुआत वर्ष 2009 में की थी, क्योंकि ट्विटर पर सेलिब्रिटीज के फेक एकाउंट बड़ी संख्या में बन गए थे. वहीं अमेरिका के पूर्व बेसबॉल खिलाड़ी टोनी ला रूसा ने उनकी फेक प्रोफाइल के कारण ट्विटर को कोर्ट के दरवाजे पर खींचा था. ऐसे में किसी सेलेब्रिटी की असल प्रोफाइल और फेक प्रोफाइल में अंतर दिखे. इस लिए ट्विटर ने जून 2009 में ब्लू टिक (Blue tick) की शुरुआत की थी और सबसे पहला एकाउंट जिसे Blue Tick मिला था वो अमेरिका का CDC था. हालांकि शुरुआत में कोई व्यक्ति खुद Blue Tick के लिए अप्लाई नहीं कर सकता था. Blue Tick कैसे मिलता था ये सिर्फ ट्विटर और जिसे मिला था वही जानता था.

साल 2010 तक Blue Tick के लांच के एक साल के भीतर ट्विटर ने सिर्फ 5 हजार Public Figures के एकाउंट ही वेरीफाई किये थे, लेकिन अगले चार वर्षों में ट्विटर ने 2014 तक 1 लाख के ऊपर एकाउंट को ब्लू टिक दे दिया. ये वो समय था जब कोई व्यक्ति खुद ट्विटर पर Blue Tick के लिए अप्लाई नहीं कर सकता था. इसके बाद जनवरी 2016 में जब ट्विटर सभी लोगों को वेरिफिकेशन (Verification) के लिए अप्लाई (apply) करने की सुविधा देता है और साथ में Blue Tick पाने के लिए Website link जैसे सबूत देने की मांग करता है, लेकिन कुछ ही महीनों में ट्विटर फिर इस Verification System को बंद कर देता है.

वेरिफिकेशन सिस्टम बंद होने के बाद भी ट्विटर चुनिंदा लोगों को Blue Tick देता रहता है. वहीं इसकी व्यवस्था इतनी अस्पष्ट होती है कि फिर से Blue Tick किसे और क्यो दिया जा रहा है यह सिर्फ देने वाले ट्विटर और लेने वाले को भी पता होता है. वर्ष 2018 तक ट्विटर पर Blue Tick वालो की संख्या 3 लाख के पार हो जाती है और 2022 में ट्विटर पर Blue Tick वालों की संख्या 4 लाख के पार है.

अब हम वापस ट्विटर के घूसकांड पर आते हैं और आपको हमारी Exclusive report में ट्विटर के घूसकांड के बारे में बताते हैं.

ट्विटर का घूसकांड
नीली चिड़िया पर अगर नाम के बाद नीले गोले में Tick का निशान मिल जाए तो कोई भी खुद को सेलेब्रिटी समझने लगेगा. ऐसी ही कहानी है ट्विटर के Blue Tick की, लेकिन सेलेब्रिटी के एकाउंट की तरह खुद के एकाउंट के लिए Blue Tick की एक कीमत 15 हजार डॉलर यानी 12 लाख रुपये थी. ऐसा हम नहीं कह रहे एक अमेरिकी युवक ने एलन मस्क को बताया और मस्क ने उसकी बात का समर्थन भी किया है.

NHEV के प्रोग्राम डायरेक्टर से मांगे थे 4 लाख 95 हजार
नीले निशान के लिए जहां अमेरिका में कीमत 15 हजार डॉलर थी. वहीं भारत में इसके लिए 4 लाख 95 हजार रुपये मांगे गए थे. भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे NHEV (National Highways for Electronic Vehicles) के प्रोग्राम निदेशक का अतिरिक्त प्रभार अभिजीत सिन्हा संभाल रहे हैं. वर्ष 2020 में तत्कालीन CDS जनरल बिपिन रावत उनके एक कार्यक्रम में आये थे, लेकिन ट्विटर पर लोगों ने जनरल रावत को ट्रोल करना शुरू कर दिया कि वो एक चीनी कम्पनी के प्रोग्राम में गए हैं. इसके बाद अभिजीत सिन्हा की मीडिया टीम ने उन्हें सलाह दी कि वो अपने ट्विटर एकाउंट को वेरीफाई करवा लें ताकि लोगों का चीनी कंपनी वाला भ्रम दूर हो जाए और भविष्य में ऐसी परिस्थिति न पैदा हो, लेकिन जब उन्होंने वेरिफिकेशन के लिए अप्लाई किया तो उनकी रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर दी गयी. इसके बाद उनकी टीम से संपर्क साधा गया और ब्लू टिक के एवज में 4 लाख 95 हजार रुपये की मांग की गयी.

वर्ष 2021 में ट्विटर ने Blue Tick के लिए अप्लाई करने की व्यवस्था फिर से खोली थी, लेकिन 5 वर्ष तक बंद रहने के बाद भी लाखों एकाउंट ट्विटर पर वेरीफाई हुए थे. ऐसा क्यों हुआ यह अभी भी एक अभुझ पहेली थी, जिसके राज अब खुलने लगे हैं, लेकिन क्या कार्यवाई होगी. इसकी विशेषज्ञों को तो उम्मीद नहीं है.

एलन मस्क Blue Tick पर एक बेहतर Transparent व्यवस्था लाने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन क्या ये व्यवस्था सच में बेहतर होगी. शायद नहीं, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो 8 डॉलर प्रति महीने देकर किसी को भी Blue Tick मिल जाएगा. इसके बाद साइबर अपराधियों और PR ट्रेंड वालों के लिए यह वरदान साबित होगा. इसका फायदा मस्क का जरूर होगा, जिन्होंने भारी भरकम रुपयों में ट्विटर को खरीदा है.

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