चीन को सबक सिखाने के लिए दिल्ली के व्यापारियों ने बताया यह रास्ता, पीयूष गोयल को लिखा पत्र
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चीन को सबक सिखाने के लिए दिल्ली के व्यापारियों ने बताया यह रास्ता, पीयूष गोयल को लिखा पत्र

तवांग में सैन्य झड़प के बाद भारत में चाइनीज माल का विरोध तेज हो गया है. व्यापारियों का कहना है कि केंद्र सरकार को अपनी ई काॅमर्स और आयात पाॅलिसी में भी बदलाव करना चाहिए. साथ ही हर प्रोडक्ट पर Country of Origin लिखना अनिवार्य हो.

चीन को सबक सिखाने के लिए दिल्ली के व्यापारियों ने बताया यह रास्ता, पीयूष गोयल को लिखा पत्र

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन की सैन्य झड़प को लेकर देशवासियों में आक्रोश बरकरार है. इस बीच दिल्ली के व्यापारियों ने चीनी उत्पादों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कनॉट प्लेस में चाइनीज माल के बहिष्कार पर प्रदर्शन के बाद अब चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने प्रत्येक उत्पाद पर कंट्री ऑफ ऑरिजन लिखने की मांग दोहराई है.

सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि आज उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है. इसमें आग्रह किया है कि आयात किए गए माल पर कंट्री ऑफ ऑरिजन लिखवाना अनिवार्य किया जाए. अभी बहुत से सामान पर इसकी जानकारी नहीं होती.

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खास तौर से ई-कॉमर्स साइट्स पर तो उपभोक्ता पता ही नहीं कर पाते कि जिस माल को खरीद रहे हैं, वो कहां बना है.यदि कोई चीनी उत्पाद का विरोध करता है और उसे नहीं खरीदना चाहता, तब भी उसे मालूम नहीं चल पाता कि सामान कहां बना है. ऐसे में यदि प्रोडक्ट पर ''कंट्री ऑफ ऑरिजन'' लिखा होगा तो भारतवासी चीनी सामान का बहिष्कार कर सकते हैं.

ई काॅमर्स पाॅलिसी में भी बदलाव
केंद्र सरकार को ऐसी पॉलिसी पर काम करना चाहिए, इसके साथ ही केंद्र सरकार को अपनी ई काॅमर्स और आयात पाॅलिसी में भी बदलाव करना चाहिए. बृजेश गोयल ने कहा कि भारतीय बाजारों से चीन पैसा कमाता है, जिसका दुरुपयोग भारत के खिलाफ कर रहा है. चीन की आर्थिक कमर तोड़नी है.

द्विपक्षीय कारोबार 103.63 अरब डॉलर के पार
इस साल के शुरुआती 9 महीनों में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय कारोबार 103.63 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है. वहीं देसी व्यापार घाटा बढ़कर 75.69 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है. इस अवधि में चीन से भारत के लिए निर्यात 89.66 अरब डॉलर रहा. इसमें 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि भारत से चीन के लिए सिर्फ 13.97 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें 36.4 प्रतिशत की गिरावट रही. यदि भारतीय कारोबारी और उपभोक्ता चाइनीज सामान का बहिष्कार करेंगे तो चीन की अक्ल ठिकाने आएगी.

 

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