Surajkund Mela 2023: मेले में स्टेट थीम के तौर पर नागालैंड की भागीदारी तो वेस्ट बंगाल के आशीष ने किया आकर्षित
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Surajkund Mela 2023: मेले में स्टेट थीम के तौर पर नागालैंड की भागीदारी तो वेस्ट बंगाल के आशीष ने किया आकर्षित

Surajkund Mela 2023: फरीदाबाद में चल रहा 36वे अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले हर रोज हजारों लोग यहां पहुंच रहे है. इस दौरान मेले में आए कलाकारों ने लोगों का ध्यान अपने और खींचा. 

Surajkund Mela 2023: मेले में स्टेट थीम के तौर पर नागालैंड की भागीदारी तो वेस्ट बंगाल के आशीष ने किया आकर्षित

Surajkund Mela 2023: फरीदाबाद में चल रहा 36वे अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में इस स्टेट थीम के तौर पर नागालैंड ने भागीदारी की है. पहली स्टेट थीम के तौर पर नागालैंड आया है. ऐसे में मेला में आने वाले लोगों को नागालैंड की दुकानों पर हाथ से बना हुआ दिख रहा सामान भी पसंद आ रहा है. लोग नागालैंड की वस्तुओं को पसंद कर रहे हैं और नागालैंड से आए हस्तशिल्प कार भी मेले में खुश नजर आ रहे हैं.

मेला में आए शिल्पकारओं का कहना है कि उनको बेहद गर्व महसूस हो रहा है कि नागालैंड में स्टेट थीम के तौर पर भागीदारी की है. उन्होंने कहा कि उनको बेहद गर्व महसूस हो रहा है. यहां के लोगों से मिलकर उन्हें बेहद अच्छा लग रहा है और यहां के लोग उनके द्वारा बनाए गए सामान को बेहद पसंद कर रहे हैं. वह इस बार मेले में 25 प्रकार का सामन लेकर आए हैं.

राजस्थान की कला ने लोगों को किया आकर्षित

इसी के साथ अगर बात करें राजस्थान की कला की बात करें तो यहां की कला ने लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि जब 1987 में यह मेला शुरू हुआ तब से लेकर अब तक इस परिवार के लोग इस मेले में भाग ले रहे हैं. यह अपने परिवार की दूसरी पीढ़ी है जो मेले में लगातार आ रही है. 1987 में इनकी माता भंवरी देवी मेले में आने की शुरुआत की और तब से लेकर अब तक वह लगातार इस मेले में अपनी भागीदारी कर रहे हैं. राजस्थान की रहने वाली गुलाब देवी और उनके पति मदन मेघवाल लगातार इस मेले की शान बना रहे हैं.

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राजस्थानी संस्कृति के प्रति घरों में पुराने समय में हाथ से चलाई जाने वाली चाची वह लेकर आए हैं. इसके साथ राजस्थान का मशहूर कठपुतली के जोड़े वह इस मेले में लेकर आए हैं. इसके अलावा पुराने समय में बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले खेल खिलौने जो प्राचीन सभ्यता की याद दिलाते हैं. उनको भी वह लेकर आए हैं. उन्होंने बताया कि उनको सूरजकुंड मेले में आकर बड़ा अच्छा लगता है और वह शुरुआत से ही इस मेले से जुड़े हुए हैं.

वेस्ट बंगाल से आए शिल्पकार ने लोगों को अपनी तरफ किया आकर्षित

सूरजकुंड मेले में वेस्ट बंगाल से आए शिल्पकार आशीष अपनी कला से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं. वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो इस हस्तशिल्प कला को आगे बढ़ा रहे हैं. साल में केवल बरसात के मौसम में होने वाले सोलापिथ पौधे की तने की छाल प्रतिमा तैयार कर रहे हैं, जिसको लेकर उन्हें नेशनल स्तर पर हस्थ शिल्पी अवार्ड भी मिल चुका है.

उनके दादा जी को भी यहीं अवार्ड मिला था और उनके बेटा भी स्टेट लेवल पर अवार्ड जीत चुके हैं. आशीष ने बताया कि वह साल में पानी में होने वाले इस पौधे को इकट्ठा करते हैं, जिसके बाद वह पूरे साल इसी से प्रतिमा तैयार करते हैं. उन्होंने कहा कि यह बेहद बारीकी का काम है और इसमें केवल वह चाकू के सहारे बारीकी से छाल को उतारते हैं.

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