सावन माह में सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 7 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 4 मिनट की है.
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Sawan Vrat 2022: हिंदू धर्म में सावन के सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. कहते हैं कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से सावन के सोमवार का व्रत रखता है तो भगवान शिव उससे प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी 25 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है. इस दिन सोमवार होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत (som pradosh fast) के नाम से भी जाना जाता है.
ज्योतिष के अनुसार सप्ताह के जिस भी दिन प्रदोष व्रत होता है, उसे उसी नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा आदि करने से ग्रहों का अशुभ प्रभाव खत्म होता है. साथ ही व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है. तो चलिए जानते हैं कि सावन माह में सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में.
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सावन सोम प्रदोष व्रत 2022
हिंदू ज्योतिष के अनुसार सावन में आने वाले प्रदोष व्रत का और भी ज्यादा महत्व बढ़ गया है, क्योंकि इस बार प्रदोष व्रत सावन के सोमवार में पड़ रहा है. इस बार शिव भक्तों को व्रत रखने से सावन के सोमवार और प्रदोष व्रत दोनों का लाभ मिलेगा. सावन के प्रदोष व्रत 25 जुलाई यानी की सावन के दूसरे सोमवार को पड़ रहा है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 7 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 4 मिनट की है.
इसी के साथ इस बार त्रियोदशी तिथि का आरंभ 25 जुलाई, सोमवार शाम 4 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर, 26 जुलाई, मंगलवार शाम 6 बजकर 46 मिनट तक है. बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है.
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पूजा विधि
हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन व्रत कथा सुनने से गोदान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. इसलिए इस व्रत रखने वाले लोगों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहने. इसके बाद शिव मंदिर जाकर बेल पत्र अर्पित करें. इसके बाद अक्षत, धूप-दीप, गंगाजल, फूल, मिठाई आदि को अर्पित करें. शिव जी की विधिपूर्वक पूजा करें और उपवास रखें. साथ ही शिव मंत्रों का जाप करें.
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इसके बाद शाम के वक्त प्रदोष काल में प्रदोष व्रत की पूजा के बाद व्रक का पारण किया जाता है. शाम के वक्त शिव परिवार को पंचामृत से स्नान कराया जाता है. इसके बाद उनकी प्रिय चीजें उन्हें अर्पित की जाती हैं. साथ ही, माता पार्वती को ऋंगार का सामान अर्पित करें.
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