Bhiwani Hindi News: रोहनात को शहीद गांव का दर्जा और आजादी न देने की मांग को लेकर एक व्यक्ति धरना स्थल पर आत्महत्या कर ली. बता दें कि यहां ग्रामीण पिछले 6 महीने से धरने पर बैठे हैं.
Trending Photos
Bhiwani News: भिवानी में लघु सचिवालय के सामने पिछले 6 महीनों से चल रहे गांव रोहनात निवासियों के धरने में एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली. सुचना मिलने पर पुलिस पहुंची और जांच शुरू की. शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नागरिक अस्पताल लाया गया.
बता दें कि भिवानी के गांव रोहनात के ग्रामीण पिछले 6 महीनों से लघु सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं. वे गांव को शहीद का दर्जा देने के अलावा कई अन्य मांगें भी उठा रहे हैं. इसी धरने पर गांव रोहनात का वेद सिंह भी शामिल थे, जिन्होंने धरने पर ही आत्महत्या कर ली.
आपको बता दें कि 1857 की क्रांति में अंग्रेजों को देश से निकालने के लिए गांव रोहनात ने बढ़-चढकर हिस्सा लिया था. दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह के आदेश पर 29 मई 1857 को गांव रोहनातवासियों ने क्रांतिकारियों का साथ देते हुऐ अंग्रेजी हुकूमत पर आक्रमण बोल दिया था. रोहनातवासियों ने तोशाम, हांसी व हिसार में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. ग्रामीणों ने हांसी में सरकारी खजाना लूटा. उन्होंने 12 अंग्रेजी अफसर हिसार में और 11 हांसी में मारे. इससे क्रोधित होकर अंग्रेजों ने रोहनात गांव को तोप से उड़ा दिया, जिससे गांव में भगदड़ मच गई. बचे-कुचे लोगों को अंग्रेजों ने हांसी की सड़क के बीच रोड रोलर से कुचला दिया गया. हांसी की यह सड़क आज भी लाल सड़क के नाम से जानी जाती है. गांववालों को दी गई मौत के ग्वाह कुंवा व बरगद का पेड़ गांव में आज भी मौजूद है. कुंवा व बरगद का पेड़ इन तस्वीरों में आप यह देख सकते हैं. 14 सितंबर 1857 को गांव को बागी घोषित कर दिया और अंग्रेजों ने गांव को नीलाम कर दिया था.
ग्रामीणों ने आत्महत्या का जिम्मेदार सीधेतौर पर भिवानी प्रशासन को ठहराया है. उन्होंने आरोप लगाया कि रोहनात गांव की जमीन को 1858 में अंग्रेजो ने नीलाम कर दिया था. तब से लेकर इस गांव के लोग अपने आप को आजाद नहीं मानते थे और 15 अगस्त को आजादी दिवस पर तिरंगा नहीं फहराया जाता था, लेकिन 2018 में प्रदेश के मुख्यमंत्री गांव रोहनात आए थे और शहीदी दिवस पर झंडा फहराया था. साथ ही आश्वाशन देकर गए थे कि आज के बाद गांव अपने आप को आजाद समझे और उनकी 4315 एकड़ जमीन उनको वापिस मिल जाएगी. इसके बाद भी उनकी मांगों पर सरकार कोई फैसला नहीं ले रही. लोगों का आरोप है कि इसी हरासमेंट के कारण वेद ने ये आत्महत्या की है, जिसका जिम्मेंदार सीधेतौर पर भिवानी प्रशासन को मानते है. इसी मांग को लेकर भिवानी लघु सचिवालय के सामने पिछले 6 महीनों से चल धरना लगा रखा है, लेकिन कोरे आश्वासन ही मिलते रहे.
आज सुबह ग्रामीणों ने वेद मृत देखा तो हड़कंप मच गया. मामले की सूचना पुलिस व उसके परिजनों को दी गई. पुलिस ने मौके पर पहुंच कर छानबीन शुरू की और शव को चौधरी बंसीलाल सामान्य अस्पताल में रखवाया है. पुलिस परिजनों के बयान के आधार पर आगामी कार्रवाई करेगी.
Input: नवीन शर्मा