Ramesh Bidhuri Remark: BSP सांसद दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर BJP सांसद रमेश बिधूड़ी की अमर्यादित टिप्पणी मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजने का अनुरोध किया है. अगर ये मामला विशेषाधिकार समिति के पास जाता है और रमेश बिधूड़ी इसमें दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें जेल भी हो सकती है.
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Ramesh Bidhuri Remark: संसद के विशेष सत्र के आखिरी दिन नए संसद भवन में BJP सांसद रमेश बिधूड़ी बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सांसद दानिश अली पर अर्मयादित टिप्पणी करते नजर आए. चंद्रयान की सफलता पर बोलते-बोलते BJP सांसद कई ऐसे शब्द बोल गए, जिन्होंने संसद ही नहीं किसी और जगह भी नहीं बोला जाना चाहिए. रमेश बिधूड़ी की इस टिप्पणी के बाद विपक्ष BJP पर हमलावर है, AAP, कांग्रेस, SP, BSP, AIMIM सहित सभी विपक्षी पार्टियां इस बयान के बाद BJP पर सवाल उठा रही हैं. वहीं अब दानिश अली ने इस पूरे मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लेटर लिखा है.
BSP सांसद दानिश अली का लेटर
UP की अमरोहा सीट BSP सांसद दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र में लिखा कि 'मैं आपसे इस मामले को जांच और रिपोर्ट के लिए लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 227 के तहत विशेषाधिकार समिति को भेजने का अनुरोध करता हूं.'
MP Danish Ali writes to Lok Sabha Speaker Om Birla regarding the speech given in Lok Sabha by BJP MP Ramesh Bidhuri; says, "I request you to refer this matter to the committee of privileges under rule 227 of the rules of procedure and conduct of business in Lok Sabha for… pic.twitter.com/w2AwZvKK1e
— ANI (@ANI) September 22, 2023
मायावती ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
BSP प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने BJP सांसद रमेश बिधूड़ी पर पार्टी द्वारा समुचित कार्रवाई नहीं करने को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
दिल्ली से भाजपा सांसद द्वारा बीएसपी सांसद श्री दानिश अली के खिलाफ सदन में आपत्तिजनक टिप्पणी को हालाँकि स्पीकर ने रिकार्ड से हटाकर उन्हें चेतावनी भी दी है व वरिष्ठ मंत्री ने सदन में माफी मांगी, किन्तु पार्टी द्वारा उनके विरुद्ध अभी तक समुचित कार्रवाई नहीं करना दुखद/दुर्भाग्यपूर्ण।
— Mayawati (@Mayawati) September 22, 2023
इस पूरे मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजे जाने के लेटर के बाद अब रमेश बिधूड़ी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल, सदन का सदस्य होने के नाते सभा सांसदों को कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं. विशेषाधिकार हनन के मामलों की जांच करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में समिति होती हैं. ये समिति जांच के बाद रिपोर्ट पेश करती है और दोषी पाए जाने पर सांसद को सदन से निलंबित या बहिष्कृत किया जा सकता है.
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लोकसभा और राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति में 15 और राज्यसभा की समिति में 10 सदस्य होते हैं और इस समिति का अध्यक्ष सत्ताधारी पार्टी का सांसद होता है. इस समिति में विपक्षी पार्टियों से सांसदों को भी शामिल किया जा सकते हैं. जांच के बाद समिति अपनी सिफारिश पेश करती है, जिस पर सदन में बहस भी हो सकती है.
दोषी पाए जाने पर हो सकती है जेल
विशेषाधिकार हनन का दोषी पाए जाने पर सांसद को जेल भी हो सकती है. दरअसल, ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी विशेषाधिकार हनन मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी जेल भी जाना पड़ा था.हालांकि, बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया.