दक्षिणी दिल्ली स्थित प्राचीन कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर ने सुरेंद्रनाथ अवधूत रुवार को आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि आज गुरुवार को नवरात्रि का 8वां दिन है, लेकिन इस बार तृतीया तिथि दो दिन की होने की वजह से आज महासप्तमी है. सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि का पूजन किया जाता है.
सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, भगवती कालरात्रि त्रिनेत्रधारी हैं. जिनके आंखों में बिजली जैसी चमक है. कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से माता बुरी शक्तियों और काल से भक्तों की रक्षा करती हैं .
मां की पूजा करने से उनके भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. माता शत्रुओं और रोग पर विजय प्राप्त करती हैं. उनकी पूजा करने से शुभ और कल्याणकारी परिणाम आते हैं.
मां कालरात्रि को दुर्गा का सातवां रूप माना जाता है. माता कालरात्रि चार भुजाओं वाली हैं. दुर्गासप्तशती में यदि रात्रि के पूजा के दौरान "ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चै नमः" मंत्र जाप किया जाए तो भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं.
कालकाजी के पीठाधीश्वर ने बताया कि 11 अक्टूबर शुक्रवार को महाअष्टमी है. इस दिन महागौरी रूप की पूजा की जाएगी। महागौरी देवी दुर्गा का आठवां रूप माना जाता है. मां की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. इस दिन मंदिरों और पूजा पंडाल में विशेष तौर पर पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन अगर विधि-पूर्वक कुंवारी कन्याएं महागौरी की पूजा करती हैं तो उन्हें माता मनचाहा वर देती हैं.