दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर 'खराब' श्रेणी में पहुंच गया है, शनिवार (25 जनवरी 2025) को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 206 दर्ज किया गया. यह स्थिति अस्थमा, फेफड़ों और दिल के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों और श्वसन तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं. लंबे समय तक इसमें रहने से अस्थमा, खांसी और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं.
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजहें वाहनों का धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, औद्योगिक उत्सर्जन का धुआं हैं. सर्दियों में कोहरा इन प्रदूषक तत्वों के साथ मिलकर जहरीली परत बनाता है. सुबह और शाम के समय प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहता है. ठंडी और स्थिर हवा प्रदूषक तत्वों को वातावरण में रोककर रखती है, जिससे सांस लेना और मुश्किल हो जाता है.
दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया है. इसके तहत निर्माण कार्यों पर रोक, सड़कों पर पानी का छिड़काव और वाहनों की संख्या सीमित करने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं. दिल, फेफड़े और अस्थमा के मरीजों को इस स्थिति में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है. प्रदूषण रक्तचाप को बढ़ाता है और हृदय संबंधी समस्याओं को गंभीर बना सकता है.
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बाहर जाते समय एन-95 मास्क पहनें. एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें. सुबह और शाम बाहर जाने से बचें. हरी सब्जियां और विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें. हालांकि GRAP लागू किया गया है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इन उपायों को और सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है. बिना सख्त नियमों के प्रदूषण की समस्या हल नहीं होगी.
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, औद्योगिक उत्सर्जन पर रोक लगाना और हरित ऊर्जा का इस्तेमाल जरूरी है. सरकार, प्रशासन और जनता को मिलकर प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. जागरूकता और जिम्मेदारी से ही इस समस्या का समाधान संभव है.