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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार सोकर उठने का क्या है सही समय, जानें यहां

Today's Chanakya Niti: चाणक्य नीति आज के समय में भी प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य की बताई हुई नीतियां आज भी जीवन में सही साबित होती हैं. चाहे जीवन में कोई कठिनाई हो या तरक्की का मार्ग तलाशना हो, चाणक्य नीति हर स्थिति में सहायक होती है. आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है वो एक महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री और सलाहकार थे. ऐसे में आज हम आपको आचार्य चाणक्य की कुछ ऐसी नीतियों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप न केवल जीवन की मुश्किलों को पार कर सकते हैं, बल्कि सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं.

ब्रह्म मुहूर्त में उठें

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ब्रह्म मुहूर्त में उठें

आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. यदि आप जीवन में सफलता चाहते हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त में उठना लाभकारी है. इससे आपके पास काम करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा और आप अतिरिक्त कार्य या पढ़ाई कर सकेंगे.

हमेशा तैयार रहें

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हमेशा तैयार रहें

चाणक्य कहते हैं कि हमेशा विपरित परिस्थिति के लिए तैयार रहें. आपको हमेशा काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए. आलस करने से आप पीछे रह सकते हैं, इसलिए हमेशा कार्य के लिए तत्पर रहें.

अपने भाई को दें उचित हिस्सा

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अपने भाई को दें उचित हिस्सा

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने बंधुओं को समान हिस्सा देना चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि देवताओं और भाईयों के हिस्से का गबन नहीं करना चाहिए. यदि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो अपने भाई को उनका उचित हिस्सा अवश्य दें.

 

डटकर खाना चाहिए

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डटकर खाना चाहिए

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को डटकर खाना चाहिए. इससे व्यक्ति बलशाली होता है. स्वस्थ मन और तन रहने से व्यक्ति अपने कार्य को उत्साहपूर्वक करता है. इन चार बातों का ध्यान रखने से व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं होता.

 

न रहें यहां एक भी पल

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न रहें यहां एक भी पल

श्रोत्रियो धनिकः राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः। पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत्।।

जहां श्रोत्रिय अर्थात वेदों का ज्ञान रखने वाला ब्राह्मण, धनिक, राजा, नदी और वैद्य ये पांच चीजें न हों, वहां मनुष्य को एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए. धनिक व्यापार की वृद्धि में सहायक होते हैं, वेदज्ञ ब्राह्मण धर्म की रक्षा करते हैं, राजा न्याय और शासन-व्यवस्था को स्थिर रखता है, जल और सिंचाई के लिए नदी आवश्यक है, और रोगों से छुटकारा पाने के लिए वैद्य की आवश्यकता होती है. चाणक्य कहते हैं कि जहां ये पांचों चीजें न हों, उस स्थान को त्याग देना ही उचित है.

 

शिक्षित व्यक्ति को मिलता है मान-सम्मान

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शिक्षित व्यक्ति को मिलता है मान-सम्मान

इसके साथ ही चाणक्य कहते हैं कि इंसान को हमेशा अपनी शिक्षा पर जोर देना चाहिए. जो व्यक्ति शिक्षित नहीं होता है, उसका हर जगह मान-सम्मान होता है.  इसीलिए शिक्षित होना चाहिए.