Panipat News: पानीपत का ये स्कूल कहीं बन जाए बच्चों की कब्रगाह? खतरे के निशान पर इमारत
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Panipat News: पानीपत का ये स्कूल कहीं बन जाए बच्चों की कब्रगाह? खतरे के निशान पर इमारत

Panipat News: 1917 में बने इस स्कूल को शिक्षा विभाग एक पहले कंडम घोषित कर चुका है. इसके बावजूद PWD की कार्रवाई में देरी हो रही है. इसके पीछे का कारण ये बताया जा रहा है कि PWD ग्राम सरपंच से स्कूल के 50 साल पुराने होने का प्रामाण पत्र मांगा है.  

Panipat News: पानीपत का ये स्कूल कहीं बन जाए बच्चों की कब्रगाह? खतरे के निशान पर इमारत

Panipat News: अभी हाल ही में हाईकोर्ट ने हरियाणा के सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत पर नाराजगी जाहिर करते हुए इस बाबत रिपोर्ट तलब की थी. इससे बावजूद अधिकारी बच्चों की जान जोखिम में डालने से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण पानीपत के पट्टी कल्याण गांव में मिल जाएगा. यहां पर आजादी से पहले के बने सरकारी स्कूल में बच्चे जान-जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं.    

स्कूल में बिजली की व्यवस्था नहीं है. कड़ाके की ठंड के अंदर बिना टाट के जमीन पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए बेंच टूटे हुए हैं. बार-बार प्रिंसिपल को कहने के बावजूद भी स्कूल में टाट व बिजली के लिए बल्ब की व्यवस्था को पूरा नहीं किया जा रहा है.

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स्कूल कंडम घोषित

1917 में बना स्कूल कंडम घोषित हो चुका है और स्कूल की इमारत पर खतरे का निशाना बनाकर बच्चे स्कूल की मुख्य इमारत में नहीं पढ़ सकते है. स्कूल की इमारत में बड़े-बड़े अक्षरों में लिख दिया गया है कि यह इमारत जर्जर है यहां बैठना मना है. जबकि पीडब्ल्यूडी विभाग गांव के सरपंच से स्कूल के 50 साल पुराने होने का प्रमाण मांग रहे हैं. स्कूल की कक्षाओं में अंधेरा व खिड़कियों को बंद करने के लिए गत्ता चिपका दिए गए हैं तो दूसरी तरफ स्कूल की पीछे की दीवार भी टूटी हुई है.

जमीन पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर

आजादी से पहले का समालखा ब्लॉक के पट्टी कल्याण गांव के पहले सरकारी स्कूल के कमरों में बिजली, सफाई, बेंच व टाट की व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण मजबूरी में छात्राओं को कड़ाके की ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. पट्टी कल्याण गांव का यह सरकारी स्कूल जिला शिक्षा अधिकारी व निरंकारी संस्था द्वारा गोद लेने के बावजूद भी इस सरकारी स्कूल में कोई सुधार नहीं हुआ है.

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PWD ने 50 साल पूरे होने का प्रमाण पत्र मांगा

स्कूल की अध्यापिका व छात्राओं को कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. जबकि पीडब्ल्यूडी विभाग सरपंच से स्कूल के 50 साल पूर्ण होने का लिखित में पत्र मांग रहे हैं. स्कूल की अध्यापिका सुनीता का कहना है कि स्कूल में बहुत कमियां है गांव के सरपंच व बुजुर्गों को बता चुके हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल प्राचार्य को भी सभी समस्याओं के बारे में अवगत कराया गया. अध्यापिका ने बताया कि कुछ दिन पहले जिला शिक्षा अधिकारी ने भी स्कूल का दौरा किया था. उनके सामने भी स्कूल की समस्या रखी गई थी.

स्कूल में शौचालय व टूटी हुई दीवार

अध्यापिका ने जानकारी दी कि जिला शिक्षा अधिकारी व निरंकारी संस्था ने स्कूल को गोद लिया है, लेकिन हमें कोई उम्मीद नहीं है कि स्कूल का कोई समाधान निकलेगा. अध्यापिका ने कहा कि स्कूल में शौचालय व टूटी हुई दीवार की समस्या उनके सामने रखी है. यह सभी समस्याएं बताने के बावजूद भी आज तक कोई समाधान नहीं निकला है. अध्यापिका ने कहा कि स्कूल में टाट पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं है.

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स्कूल की कक्षा में बिजली की व्यवस्था नहीं

उन्होंने बताया कि स्कूल की कक्षा में बिजली की व्यवस्था नहीं है. खिड़कियां भी काफी कहने के बावजूद लगाई गई थी. कक्षा में मच्छर अधिक है और सफाई की व्यवस्था भी नहीं है. स्कूल की छात्राओं का कहना है कि स्कूल में टाट व बेंच बहुत कम है. जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ रहा है, जिसमें ठंड भी बहुत लगती है. उन्होंने कहा कि पढ़ने के लिए बेंच नहीं है. छात्रा का कहना है कि क्लास में कक्षा में बेंच बहुत कम है और जमीन पर मजबूरी में बैठना पड़ता है सर्दी अधिक लगती है.

1917 में हुआ स्कूल का निर्माण

उन्होंने बताया कि शौचालय की व्यवस्था में कुछ सुधार हुआ है. पट्टी कल्याण गांव के बुजुर्ग ने कहा कि 1917 में आजादी से पहले यह छोटी क्लास का स्कूल बनाया गया था. उन्होंने बताया कि पूरे समालखा ब्लॉक में उसे समय कहीं स्कूल नहीं था केवल पट्टी कल्याण गांव में स्कूल का निर्माण किया गया था. उन्होंने कहा कि 70 से 80 साल पहले हाई स्कूल का निर्माण किया गया था जो की अब जर्जर है. उन्होंने बताया कि स्कूल की मुख्य इमारत है जोकि कंडम घोषित हो चुकी है.

1 साल पहले जर्जर घोषित हो चुका है स्कूल

उन्होंने कहा कि सांसद संजय भाटिया को शिकायत की गई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने यहां आकर सर्वे किया है. ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल पिछले 1 साल पहले जर्जर घोषित कर दिया गया था. कई बार शिकायत की, लेकिन कोई अधिकारी नहीं आ रहा है. ग्रामीणवासियों का कहना है कि स्कूल कंडम घोषित हो चुका है और बच्चे ठंड में पढ़ने के लिये जमीन पर बैठे हैं. इसके लिए कई बार कह चुके लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

गांव के सरपंच मुकेश ने बताया कि शिक्षा विभाग से शिकायत की थी तो उनका कहना है कि शिक्षा विभाग के जेई ने कंडम घोषित कर दिया है. जब तक पीडब्ल्यूडी विभाग इसे कंडम घोषित नहीं करेगा. तब तक इस स्कूल की इमारत का निर्माण नहीं हो सकता है. जबकि पीडब्ल्यूडी के अधिकारी 50 साल होने का प्रमाण मांग रहे हैं.

(इनपुटः राकेश भयाना)

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