पशुओं में Lumpy Skin Disease पर पानीपत प्रशासन सतर्क, DC की अपील-दूध उबालकर ही करें इस्तेमाल
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पशुओं में Lumpy Skin Disease पर पानीपत प्रशासन सतर्क, DC की अपील-दूध उबालकर ही करें इस्तेमाल

Lampy Skin Disease : पानीपत के उपायुक्त ने बताया कि अभी तक जिले में लंपी स्किन डिजीज का कोई केस नहीं है, फिर भी सावधानी बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 74480 पशु पंजीकृत हैं. लंपी डिजीज पशुओं में न फैले, इसके लिए पशुपालक सावधानी बरतें. 

पशुओं में Lumpy Skin Disease पर पानीपत प्रशासन सतर्क, DC की अपील-दूध उबालकर ही करें इस्तेमाल

राकेश भयाना / पानीपत : पशुओं में लंपी स्किन डिजीज (Lampy Skin Disease) को लेकर जिला प्रशासन बेहद सतर्क हो गया है. उपायुक्त सुशील सारवान ने आज गोशाला का निरीक्षण किया. संक्रमण को देखते हुए उन्होंने जिले में पशुओं को लाने और बाहर ले जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है साथ ही जिले में पशुओं के टीकाकरण को युद्धस्तर पर चलाने के निर्देश दिए हैं.  

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उपायुक्त (DC) सुशील सारवान ने बताया कि यह बीमारी पशुओं में बहुत तेजी से फैलती है. अभी तक जिले में लंपी स्किन डिजीज का कोई केस नहीं है, फिर भी सावधानी बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 74480 पशु पंजीकृत हैं. लंपी स्किन डिजीज पशुओं में न फैले, इसके लिए पशुपालक सावधानी बरतें. उपायुक्त ने बताया कि जिलेभर में इसकी रोकथाम के लिए सघन टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. जल्द ही इस काम को पूरा कर लिया जाएगा.

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लंपी संक्रमण को देखते हुए Deputy Commissioner आज गोहाना रोड स्थित गोशाला पहुंचे. उन्होंने गोशाला संचालकों से आग्रह किया है कि वे संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरतें. एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उपायुक्त ने जिलावासियों से अपील की कि दूध को उबालकर ही इस्तेमाल करें.यदि दूध में किसी प्रकार का कोई कीटाणु होगा तो उबालने से नष्ट हो जाएगा. 

लंपी के लक्षण और उपचार 
लंपी स्किन बीमारी की चपेट में आई गाय, भैंस या बैल के शरीर पर गांठें पड़ने लगती है. ये गांठें मुख्य रूप से पशुओं के जननांगों, सिर और गर्दन पर होती हैं और उसके बाद पूरे शरीर में फैल जाती हैं. बाद में ये गांठें घाव में बदल जाती हैं. मच्छरों के माध्यम से यह रोग एक से दूसरे पशु में पहुंच जाता है. 

लंपी के शिकार ज्यादातर पशुओं को बुखार आने लगता है. दूधारू पशु दूध देना बंद कर देते हैं. इस दौरान कई गायों का गर्भपात हो जाता है और कई बार मौत भी हो जाती है. इस बीमारी की कोई सीढ़ी दवा नहीं है, लेकिन पशु के बुखार को नियंत्रित करने, घावों को भरने और गांठों को कम करने के लिए अलग-अलग तरह की दवाइयों का इस्तेमाल लिया जा रहा है.

 

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