Noida: नोएडा की 12 ऊंची इमारतों को तोड़ने के लिए अंतिम चेतावनी जारी, दिया गया 15 दिन का समय
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Noida: नोएडा की 12 ऊंची इमारतों को तोड़ने के लिए अंतिम चेतावनी जारी, दिया गया 15 दिन का समय

नोएडा के बरौला में करीब 12 ऊंची इमारतों को तोड़ने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने अंतिम नोटिस जारी कर दिया. यह नोटिस उन इमारतों के मालिकों को दिया गया है, जो अवैध रूप से बिना प्राधिकरण की मंजूरी के बनी हैं. प्राधिकरण ने इन मालिकों को 15 दिन का समय दिया है कि वे अपना पक्ष रखें.

Noida: नोएडा की 12 ऊंची इमारतों को तोड़ने के लिए अंतिम चेतावनी जारी, दिया गया 15 दिन का समय

Noida Authority: नोएडा के बरौला में करीब 12 ऊंची इमारतों को तोड़ने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने अंतिम नोटिस जारी कर दिया. यह नोटिस उन इमारतों के मालिकों को दिया गया है, जो अवैध रूप से बिना प्राधिकरण की मंजूरी के बनी हैं. प्राधिकरण ने इन मालिकों को 15 दिन का समय दिया है कि वे अपना पक्ष रखें. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं या प्राधिकरण उनके पक्ष से संतुष्ट नहीं होता है, तो तोड़फोड़ की कार्रवाई की जाएगी.

अवैध निर्माण की स्थिति
बरौला क्षेत्र में कई नामी शोरूम भी खुल चुके हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यहां अवैध निर्माण का मामला गंभीर है. शहर में सरकारी जमीन पर ऊंची इमारतें बन चुकी हैं, जिनमें से 50 से अधिक गांवों में अवैध रूप से इमारतें खड़ी हो गई हैं. यह स्थिति चिंताजनक है और इसके लिए प्राधिकरण को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है.

प्राधिकरण की कार्रवाई
नोएडा प्राधिकरण ने इस साल की शुरुआत में ऊंची इमारतों को तोड़ने के लिए एजेंसी चयन करने के लिए टेंडर जारी किया था. वर्क सर्किल-3 के माध्यम से इस प्रक्रिया की शुरुआत की गई थी. मई में आर चावला नामक एजेंसी का चयन किया गया, जिसने बरौला गांव में हनुमान मंदिर के पास स्थित 12 इमारतों को तोड़ने का जिम्मा लिया. हालांकि, इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

कोर्ट का हस्तक्षेप
संबंधित इमारतों के मालिक सूरजपुर स्थित कोर्ट चले गए, जहां कोर्ट ने प्राधिकरण की कार्रवाई पर रोक लगा दी. कोर्ट ने आदेश दिया कि संबंधित इमारत के मालिकों का पक्ष सुनें और उसके बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं. अब प्राधिकरण ने फिर से मालिकों को अंतिम नोटिस जारी किया है. 

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नोटिस की प्रक्रिया
नोटिस में कहा गया है कि मालिकों को 15 दिन में साक्ष्यों के साथ अपना पक्ष रखना है. यदि वे सामने नहीं आते हैं या प्राधिकरण उनके पक्ष से संतुष्ट नहीं होता है, तो तोड़फोड़ की कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए पुलिस प्रशासन को पत्र लिखकर फोर्स मांगी गई है.

इमारतों का निर्माण और अवैधता
वहीं जिन इमारतों के लिए मालिकों को नोटिस जारी किया गया है, वे बरौला ने हनुमान मूर्ति के आसपास मुख्य सड़क पर बनी हुई हैं. इनमें से कई नाले के किनारे हैं और नियमों को ताक पर रखकर यहां इमारतें खड़ी कर दी गई हैं. इन इमारतों का निर्माण पिछले डेढ़-दो साल में हुआ है, जिसमें कई शोरूम, ऑफिस और अन्य व्यावसायिक चीजें खुल चुकी हैं.

कार्रवाई की कमी
हालांकि, प्राधिकरण ने नोटिस जारी करने के बाद कार्यवाही में कोई ठोस कदम नहीं उठाया. कुछ महीनों पहले अवैध इमारत होने का नोटिस चस्पा करने के बाद, संबंधित लोगों ने अगले दिन ही नोटिस फाड़ दिए. इसके बावजूद प्राधिकरण ने संबंधित लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

अनुबंध की शर्तें
प्राधिकरण ने ऊंची इमारतों को तोड़ने के लिए एक विशेष एजेंसी का चयन किया है, जिसके साथ कई अनुबंध शर्तें तय की गई हैं. इस अनुबंध के तहत, एजेंसी प्राधिकरण को लगभग 90 लाख रुपए का भुगतान करेगी. इसके साथ ही, तोड़ने के बाद इमारत के मलबे, सरिया और ईंटों पर एजेंसी का अधिकार होगा. यह शर्तें प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को स्पष्ट करती हैं.  

मशीनों की तैयारी
अधिकारियों का कहना है कि एजेंसी के पास ऐसी मशीनें होंगी, जो आस-पड़ोस की इमारतों को नुकसान पहुंचाए बिना और बिना किसी खतरे के तेजी से तोड़ने की क्षमता रखती हैं. यह तकनीकी पहलू कार्य को सुरक्षित और प्रभावी बनाने में सहायक होगा. 

हाजीपुर की स्थायी समस्या
हालांकि, हाजीपुर के खसरा नंबर-412 पर बनी एक इमारत लगातार सुर्खियों में है. इस इमारत को गिराने का आदेश पिछले कई महीनों से दिया जा चुका है, लेकिन अब तक इसे गिराया नहीं जा सका है. इस मामले में प्राधिकरण के अधिकारियों की बार-बार की कार्रवाई भी बेअसर रही है.

अवैध निर्माण का बढ़ता मामला
सलारपुर और हाजीपुर में अवैध निर्माण की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं. यहां कॉलोनियों और फ्लैट्स का निर्माण हो रहा है, जबकि प्राधिकरण कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है. महर्षि आश्रम के सामने खाली पड़ी जमीन पर भी तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है.  

कार्रवाई की कमी
28 अप्रैल 2024 को नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने सलारपुर और हाजीपुर में कार्रवाई के लिए निरीक्षण किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इस स्थिति ने स्थानीय निवासियों में निराशा पैदा की है.