Modi Surname Case: मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी है. राहुल गांधी की 2 साल की सजा बरकरार रहेगी. वहीं राहुल गांधी अब हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
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Modi Surname Case: मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी है. वहीं राहुल गांधी की 2 साल की सजा बरकरार रहेगी. इसको लेकर कांग्रेस अब गुजरात हाईकोर्ट का रुख करेगी.
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4 साल बाद हुआ फैसला
बता दें कि राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली में मोदी सरनेम को लेकर एक विवादित बयान दिया था. इसको लेकर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. वहीं इस मामले में 4 साल बाद 23 मार्च 2023 को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. इसको लेकर राहुल गांधी को 1 महीने का समय मिला था कि 1 महीने तक आप कोर्ट में सजा को लेकर अपील कर सकते हैं.
दाखिल की दो याचिकाएं
इसके बाद राहुल गांधी ने 2 अप्रैल 2023 को निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सूरत सेशन कोर्ट का रुख किया था. इनमें राहुल गांधी द्वारा दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं. पहली अर्जी में सजा पर रोक की मांग की गई थी, जबकि दूसरी में अपील के निस्तारण तक कन्विक्शन पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
13 अप्रैल को हुई थी सुनवाई
वहीं मामले में एडिशनल सेशन जज आरपी मोगेरा की कोर्ट ने 13 अप्रैल को राहुल की याचिका पर सुनवाई करते हुए 20 अप्रैल के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने राहुल को जमानत देते हुए शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को कन्विक्शन पर रोक लगाने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था.
राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को पहुंचेगी क्षति
राहुल के वकील ने कोर्ट में कहा था, निचली अदालत में मामले की सुनवाई उचित नहीं थी. इस मामले में अधिकतम सजा की कोई जरूरत नहीं है. राहुल की ओर से कहा गया था कि अगर निचली अदालत के 23 मार्च के फैसले को निलंबित और स्थगित नहीं किया गया तो इससे उनकी प्रतिष्ठा को क्षति होगी.
दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे. बता दें कि अगर किसी विधायक और सांसद को किसी मामले में 2 साल से अधिक की सजा होती है तो जनप्रतिनिधि कानून में प्रावधान है कि उस सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द हो जाती है. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाते हैं.