Delhi Election 2025: तुगलकाबाद की सियासत में ‘बिधूड़ी गौत्र’ का असर, किसे मिलेगा समर्थन?
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana2608598

Delhi Election 2025: तुगलकाबाद की सियासत में ‘बिधूड़ी गौत्र’ का असर, किसे मिलेगा समर्थन?

Delhi Election 2025: तुगलकाबाद क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं के साथ-साथ स्थानीय समस्याएं भी चुनाव के नतीजों को प्रभावित करेंगी. इलाके में जलभराव, अवैध कॉलोनियों, पार्कों की कमी और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं को लेकर लोग नाराज हैं.

Delhi Election 2025: तुगलकाबाद की सियासत में ‘बिधूड़ी गौत्र’ का असर, किसे मिलेगा समर्थन?

नई दिल्ली : तुगलकाबाद विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद रोचक और कड़ा होने की संभावना है. दक्षिणी दिल्ली के इस क्षेत्र में 2025 के विधानसभा चुनावों को लेकर माहौल गर्म है. यह सीट हमेशा से राजनीतिक दिग्गजों के लिए प्रतिष्ठा का केंद्र रही है. 2015 में आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस सीट पर बीजेपी से कब्जा किया था और तब से ही यह सीट बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए वापसी की चुनौती बनी हुई है.

तीनों पार्टियों ने खेला गुर्जर कार्ड
इस बार तुगलकाबाद में मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है. आम आदमी पार्टी ने अपने दो बार के विधायक सहीराम पहलवान को तीसरी बार मौका दिया है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने रोहताश बिधूड़ी और कांग्रेस ने वीरेंद्र बिधूड़ी को अपना उम्मीदवार बनाया है. दिलचस्प बात यह है कि तीनों प्रत्याशी गुर्जर समुदाय से हैं और उनका गौत्र भी बिधूड़ी है. इस क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं का दबदबा है, जिसकी वजह से सभी पार्टियां इस समुदाय के भरोसे अपनी सियासी गणित साधने की कोशिश में हैं.

पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कहानी
2020 के विधानसभा चुनाव में सहीराम पहलवान ने भारतीय जनता पार्टी के विक्रम बिधूड़ी को 13,758 वोटों से हराया था. उस वक्त आम आदमी पार्टी को 58,905 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 45,147 वोटों पर संतोष करना पड़ा. कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था और उसके उम्मीदवार शुभम शर्मा को केवल 1,342 वोट मिले थे.

इस बार के समीकरण
2025 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए तुगलकाबाद में हैट्रिक लगाना चुनौतीपूर्ण होगा. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने नए चेहरे उतारे हैं और चुनावी रणनीति में बदलाव किया है. बीजेपी के रोहताश बिधूड़ी अपने जमीनी जनाधार और पार्टी की सशक्त चुनावी मशीनरी के दम पर मुकाबले में हैं. वहीं, कांग्रेस के वीरेंद्र बिधूड़ी ने क्षेत्र में युवाओं और ग्रामीण वोटरों को जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है.

स्थानीय मुद्दे होंगे निर्णायक
तुगलकाबाद क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं के अलावा स्थानीय मुद्दे भी चुनावी परिणाम को प्रभावित करेंगे. जलभराव, अवैध कॉलोनियों की समस्या, पार्कों की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर जनता में नाराजगी है. आम आदमी पार्टी सरकार ने पिछले कार्यकाल में विकास का दावा किया है, लेकिन विपक्ष इन दावों को खारिज करते हुए जनता को नए वादों का भरोसा दिला रहा है.

क्या होगा परिणाम?
तुगलकाबाद सीट पर मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प हो चुका है. आम आदमी पार्टी अपनी पकड़ बरकरार रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस यहां वापसी के लिए एक नई रणनीति के साथ मैदान में हैं. गुर्जर समुदाय के वोट और स्थानीय मुद्दे इस बार के चुनाव में निर्णायक साबित होंगे. अब देखना यह है कि 5 फरवरी को मतदान के बाद 8 फरवरी को किसके पक्ष में नतीजे आते हैं.

ये भी पढ़िए-  त्रिकोणीय मुकाबले में किसकी रणनीति होगी कामयाब, कौन साधेगा जाट-यादव समीकरण?