Delhi Election 2025: राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि स्विंग वोटर्स इस बार दिल्ली चुनाव में सबसे अहम भूमिका निभाएंगे. अगर 'आप' इन वोटर्स को फिर से अपनी तरफ खींचने में सफल रहती है, तो उसकी जीत पक्की हो सकती है.
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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का सियासी रण चरम पर है. बीजेपी, आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस अपने-अपने एजेंडों और वादों के साथ जनता के बीच जा रही हैं. लेकिन इस बार चुनावी समीकरणों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 'स्विंग वोटर्स' चर्चा के केंद्र में हैं. इन वोटर्स को लुभाने की चुनौती तीनों दलों के लिए निर्णायक साबित हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्विंग वोटर्स वे होते हैं जो किसी एक पार्टी के प्रति स्थायी निष्ठा नहीं रखते और चुनाव दर चुनाव अपना समर्थन बदलते रहते हैं. ये वोटर्स ही वह 30% हिस्सा हैं जो दिल्ली की सत्ता का भविष्य तय कर सकते हैं. हर जाति, धर्म और वर्ग से आने वाले ये वोटर्स इस बार भी राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती और अवसर बनकर उभरे हैं.
क्या है स्विंग वोटर्स का महत्व?
दिल्ली की राजनीति में स्विंग वोटर्स की भूमिका पिछले एक दशक में निर्णायक रही है. 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में 'आप' को प्रचंड बहुमत दिलाने में इनका बड़ा हाथ था. हालांकि, लोकसभा चुनावों में यह वर्ग बीजेपी की तरफ झुकता नजर आता है. अब 2025 के विधानसभा चुनाव में सवाल यह है कि क्या 'आप' इन वोटर्स को फिर से अपने पाले में ला पाएगी या बीजेपी और कांग्रेस उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने में सफल होंगी.
चुनावी आंकड़ों की कहानी
पिछले चुनावी आंकड़े बताते हैं कि स्विंग वोटर्स की भूमिका हर चुनाव में अलग रही है.
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में 'आप' को 30% वोटों का नुकसान हुआ, जो बीजेपी और कांग्रेस के पक्ष में गए. अब 2025 में पार्टी की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह इन्हें वापस ला पाती है या नहीं.
वोटर्स के बदलते रुझान
दिल्ली में ऊंची जाति, ओबीसी, दलित और मुस्लिम समुदायों में से अधिकांश स्विंग वोटर्स हैं.
क्या है 'आप' के लिए चुनौती?
2025 के विधानसभा चुनावों में 'आप' की सबसे बड़ी चुनौती उन स्विंग वोटर्स को वापस लाने की है, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को समर्थन दिया था. पार्टी को विकास और वादों के जरिए जनता को भरोसा दिलाना होगा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता को मुफ्त बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा में सुधार का वादा किया है, लेकिन विपक्ष इन योजनाओं को लेकर सवाल उठा रहा है.
बीजेपी और कांग्रेस की रणनीति
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि स्विंग वोटर्स दिल्ली चुनाव में 'किंगमेकर' की भूमिका निभाएंगे. अगर 'आप' इन्हें वापस लाने में सफल होती है, तो जीत तय है. लेकिन अगर बीजेपी और कांग्रेस इनमें से कुछ हिस्सेदारी भी अपने पक्ष में कर लेती हैं, तो मुकाबला कड़ा हो सकता है.
जनता के फैसले का इंतजार
दिल्ली की सर्द हवाओं में चुनावी माहौल गर्म है. हर पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. स्विंग वोटर्स इस बार किसके साथ जाते हैं, यह 5 फरवरी को साफ होगा. तब तक राजनीतिक दलों की सियासी बिसात बिछती रहेगी.
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