आपने देखा होगा कि 15 अगस्त या 26 जनवरी के बाद झंडे को लोग फेंक देते हैं. ये पैरों के नीचे या कूड़े के ढेर में दिखाई देते हैं. लेकिन ऐसा करना बहुत बड़ा अपराध है. इसलिए या तो आप इसके इस्तेमाल के बाद कहीं संभाल कर रख लें. अगर यह क्षतिग्रस्त हो गया है तो इसे एकांत में जलाकर नष्ट कर दे. फ्लैग कोड के अनुसार देश के झंडे का संपर्क किसी भी हालत में जमीन या पानी से नहीं होना चाहिए.
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नई दिल्ली: आज पूरे देश में 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. वहीं भातर को आजाद हुए पूरे 75 साल हो चुके हैं. इसलिए पूरे देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके चलते पीएम मोदी ने 13 से 15 अगस्त तक पूरे देश में हर घर तिरंगा अभियान का आह्वान किया. बता दें कि इस अभियान के चलते देश में डाक घर 10 दिनों में 1 करोड़ से ज्यादा तिरंगों की बिक्री हो चुकी है. इसके अलावा भी लोगों ने दुकानों से तिरंगे खरीदे हैं, लेकिन लोगों को यह बताता जरूरी है कि 15 अगस्त को जो लोग ध्वजारोहण करेंगे, उनके लिए इसका सही तरीका और नियम क्या हैं.
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बता दें कि 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है जो कि प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है. वहीं 26 जनवरी को तिरंगा फहराया जाता है. इसे राष्ट्रपति द्वारा फहराया जाता है. इन दोनों के बीच में बड़ा अंतर होता है. जब तिरंगे को नीचे से रस्सी के माध्यम से खींचकर फहराया जाता है, तो इसे ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहते हैं. वहीं 26 जनवरी में तिरंगा ऊपर ही बंधा होता है, जिसे पूरा खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना (Flag Unfurling) कहते हैं.
कौन कब फहरा सकता है तिरंगा?
26 जनवरी 2002 के फ्लैग कोड (Flag Code 2022) के नियम 2.2 के अनुसार कोई भी व्यक्ति, संस्था, शैक्षिणिक संस्थान और निजी-सरकारी संस्थान राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान के साथ किसी भी दिन या किसी भी अवसर पर फहरा सकते हैं.
भारतीय झंडा हाथ से काते गए, हाथ से बुने गए ऊनी/ पॉलिस्टर/सूती/ सिल्क या खादी के कपड़े से बना होना चाहिए. झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए. इससे पहले मशीन से बने और पॉलिस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी.
अगर झंडा कटा-फटा या छेड़छाड़ किया हो?
नियमों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज में किसी तरह की तस्वीर, पेंटिंग या फोटोग्राफ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. जहां तिरंगा फहराया जा रहा है, वहां यह सबसे ऊपर होना चाहिए. यानी इसके साथ कोई और झंडा इससे ऊंचा नहीं होना चाहिए. जिस भी खंभे या स्तंभ पर झंडा लगा हो उस पर किसी तरह का विज्ञापन नहीं होना चाहिए. यानी राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए नहीं किया जा सकता है. फटा हुआ और मैला झंडा प्रदर्शित नहीं कर सकते. ध्वज के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. इसे झुका कर नहीं रखना चाहिए.
20 जुलाई 2022 के संशोधन के बाद ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जा सकता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जा सकता है. वहां इसे दिन-रात फहराया जा सकता है, जबकि पहले तिरंगे को सूर्योदय से सूर्यास्त तक लगाने की अनुमति थी.
राष्ट्रीय ध्वज के अपमान करने पर सजा?
अगर कोई इंसान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते, दूषित करते, इसे जलाते, कुचलते या नियम विरुद्ध ध्वजारोहण करते हुए मिलता है. उस व्यक्ति को नियानुसार 3 साल की सजा या जुर्माना देने का दंड मिल सकता है. साथ ही व्यक्ति को दोनों से दंडित किया जा सकता है.