Haryana Hindi News: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से पीड़ित बच्चों के माता-पिता ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर सरकार से गुहार लगाई. उनका कहना है कि सरकार बच्चों की जान बचाने के लिए दवाई का इंतजाम करे.
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Haryana News: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ( Muscular Dystrophy) बीमारी से पीड़ित बच्चों के माता-पिता ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर सरकार से गुहार लगाई. उनका कहना है कि सरकार बच्चों की जान बचाने के लिए दवाई का इंतजाम करे. मुख्यमंत्री आवास के गुहार लगाने आए लोगों का कहना है कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चे का इलाज एवं दवाई उपलब्ध करवाने के लिए सैकड़ों बार सैकड़ों परिवार कई साल से लगातार भारत सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय, मानवाधिकार एवं कोर्ट के माध्यम से भारत सरकार के DMD का दवाई एवं इलाज उपलब्ध करवाने की गुहार और अपील की गई.
उनका कहना है कि कई साल से अपील करने के बावजूद भी आज तक सरकार इस गंभीर बिमारी के लिए अभी तक कोई भी ठोस, सटीक रणनीति तैयार नहीं कर पाई है. जिसके चलते सैकड़ों पीड़ित बच्चे इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके हैं. हजारों बच्चे अभी भी इलाज न मिलने के कारण प्रतिदिन मौत के मुंह की ओर बढ़ रहे हैं. प्रतिदिन पीड़ित के माता पिता मौत के साए को देखकर अपना मानसिक संतुलन खोकर आत्म हत्या कर रहे हैं.
बता दें कि इस साल 26 जनवरी 2023 को मध्यप्रदेश के संजीव मिश्रा नामक व्यक्ति का दो साल का बेटा DMD (Duchenne Muscular Dystrophy) से पीड़ित था. हर जगह घुमने और मदद की गुहार लगाने के बावजूद भी बच्चे को सटीक सही इलाज नहीं मिला, जिससे बच्चे की हालत बत्तर स्थिति में पहुंच गई. इसी के चलते पीड़ित के माता-पिता ने आत्महत्या कर ली. प्रतिदिन पीड़ितों के माता पिता अपने बच्चे को तड़पता देखकर और मौत की ओर बढ़ते देखकर दर्जनों परिवार आत्महत्या करने का प्रयास करते हैं. पीड़ित के माता-पिता का कहना है कि विवश माता पिता के लिए इसके अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आता है. जब संतान ही दुनियां में नहीं रहेगी तो यह देश दुनियां सब बेगानी है. ऐसे में किसके लिए जीवित रहेगें. सरकार सिर्फ मेक इन इण्डिया और आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, लेकिन धरातल पर सब शुन्य है .
उनका कहना है कि जबकि कई वैज्ञानिक डॉक्टर मस्कुलर डिस्ट्राफी ( DMD) बीमारी का इलाज उपलब्ध करने को तैयार है, लेकिन सरकार के पास ऐसे पीड़ित बच्चे को बचाने के लिए फंड नहीं है. रिसर्च के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. लोग 21वीं सदी में जीवनयापन कर रहे हैं. लोग चांद पर रहने को सोच रहे हैं, लेकिन अभी भारतीय नागरिक बच्चे के जीवन के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. जब इस समय विज्ञान एवं वैज्ञानिक बहुत आगे निकल चुके हैं फिर हमारे देश के बच्चे इलाज एवं दवाई के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. अगर सरकार को ऐसे पीड़ित बच्चे के लिए फंड नहीं है तो कम से कम नागरिकों से अपील कर दें, जिससे कि इन बच्चों की दवाई के लिए फंड का इंतजाम किया जा सके.
Input: VIJAY RANA