लंपी वायरस के बाद एक नए वायरस की दस्तक, पशुपालकों में दहशत का माहौल
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लंपी वायरस के बाद एक नए वायरस की दस्तक, पशुपालकों में दहशत का माहौल

लंपी वायरस के साथ ही अफ्रीकन स्वाइन फीवर से पशुपालकों में दहशत का माहौल है. डॉक्टर एसपी शर्मा के अनुसार अफ्रीकन स्वाइन फीवर केवल पालतू और जंगली सूअर में ही होता है और इसका कोई इलाज नहीं है. यह वायरस परजीवी से फैलता है.

लंपी वायरस के बाद एक नए वायरस की दस्तक, पशुपालकों में दहशत का माहौल

रोहतक: पशुओं में बढ़ते लंपी वायरस के कहर के बीच अब एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है. लंपी वायरस के साथ ही अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने पशुओं और जंगली जानवरों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है, जिससे पशुपालकों में दहशत का माहौल है. लंपी वायरस के बचाव के लिए पशुओं में वैक्सीनेशन किया जा रहा है लेकिन अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कोई इलाज नहीं है. हालांकि इन दोनों वायरस का इंसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. 

रोहतक में 100% गायों का वैक्सीनेशन
रोहतक के उपायुक्त यशपाल यादव ने बताया कि जिले में 100% गायों में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. अब प्रशासन ग्रामपंचायत और नगर निगम की सहायता सहायता से लावारिस गायों मैं वैक्सीनेशन की तैयारी में जुट गया है. पशु वैज्ञानिक डॉ एस पी शर्मा के अनुसार पशुओं को लंपी बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीनेशन ही एकमात्र सहारा है, जबकि अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कोई इलाज नहीं है. राहत की बात यह है कि इन दोनों वायरस का इंसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने पर अपने हाथों को साबुन से जरूर साफ करना चाहिए.

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हरियाणा के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय हिसार से पासआउट और बोत्सवाना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे पशु वैज्ञानिक डॉ एस पी शर्मा ने पशुपालकों को आगाह करते हुए कहा है कि पशुओं को लंपी बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीन का टीका जरूर लगवाएं. संक्रमित पशुओं को फिटकरी, नीम के पानी और अन्य एंटीसेप्टिक दवाइयों से साफ करते रहें, इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हल्दी देते रहें. लंपी वायरस संक्रमित गायों पर मच्छर, मक्खी बैठने के बाद स्वस्थ पशु को काटने और संक्रमित पशु के स्वस्थ पशु के संपर्क में आने से फैल रहा है. यह बीमारी गाय के अतिरिक्त भैंस बकरी और भेड़ों में भी फैल सकती है, इसलिए संक्रमित पशु को बीमारी ठीक होने तक अकेले में ही रहने दें.

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डॉक्टर एसपी शर्मा के अनुसार अफ्रीकन स्वाइन फीवर केवल पालतू और जंगली सूअर में ही होता है और इसका कोई इलाज नहीं है. यह वायरस परजीवी से फैलता है, सूअर की मौत के बाद उसे अच्छी तरह दफनाना चाहिए और उसके बाड़े को जला देना चाहिए ताकि यह वायरस ज्यादा न फैल सके. उन्होंने कहा की अफ्रीकन स्वाइन फ्लू कोई बीमारी नहीं है, जबकि स्वाइन फ्लू वायरस इंसानों को अपनी चपेट में लेता है.

लंपी वायरस लावारिस गायों और जंगली पशुओं जैसे नीलगाय ,हिरण, चीतल आदि में फैलने के बाद पशुपालकों में दहशत का माहौल है. सोमबीर शर्मा पशुपालक के अनुसार उनकी गौशाला में अभी तक दो गाय लंपी वायरस की चपेट में आईं थी, जिनका समय रहते उन्होंने इलाज करवा दिया है. उन्हें डर है कि कहीं यह वायरस दूसरे पशुओं को प्रभावित ना कर दे.

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