देश के सभी राज्यों में से हरियाणा ने अपशिष्ट प्रबंधन की योजना एमजीटी के समक्ष प्रस्तुत की गई. हरियाणा एनजीटी मॉनेटरी कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल करनाल पहुंचे. उन्होंने करनाल जिला सचिवालय के सभागार में करनाल, पानीपत और कैथल के पर्यावरण से संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की.
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नई दिल्ली: देश के सभी राज्यों में से हरियाणा ने अपशिष्ट प्रबंधन की योजना एमजीटी के समक्ष प्रस्तुत की गई. हरियाणा एनजीटी मॉनेटरी कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल करनाल पहुंचे. उन्होंने करनाल जिला सचिवालय के सभागार में करनाल, पानीपत और कैथल के पर्यावरण से संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस बैठक में विभिन्न प्रकार के अवशेष प्रबंधन और निस्तारण को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ चर्चा की.
NGT ने पर्यावरण पर किया काम
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी द्वारा पर्यावरण सुरक्षा को लेकर पर्यावरण पर विशेष रुप से काम किया जा रहा है. एनजीटी द्वारा देश के सभी राज्य को अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर योजना तैयार करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए थे इसमें विशेष तौर पर देश के सभी राज्यों में से सबसे पहले हरियाणा राज्य द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन की योजना एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की गई तथा हरियाणा राज्य इसको लेकर सबसे पहले नंबर पर रहा.
अपशिष्ट प्रबंधन में 11 अपशिष्ट शामिल किए गए हैं, इनमें विशेष रूप से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा अपशिष्ट को अलग अलग करना, स्वीपिंग तथा मैनुअल स्वपिंग, अपशिष्ट संग्रह आदि शामिल किए गए हैं. साथ ही इन सभी अपशिष्ट प्रबंधन पर लगातार योजनाबद्ध तरीके से कार्यप्रणाली निश्चित की जाए इसको लेकर अलग-अलग समय में एनजीटी द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.
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इस समीक्षा बैठक में पर्यावरण से संबंधित सभी अधिकारियों ने पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल के समक्ष अपनी योजना तथा पर्यावरण सुरक्षा को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की गई.
इस साल के आखिरी तक समय सीमा निर्धारित
समीक्षा बैठक के उपरांत पत्रकारों से बात करते हुए हरियाणा एनजीटी मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि एनजीटी द्वारा 11 प्रकार के अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट ली गई है. इस पर समीक्षा करते हुए बकाया कार्य पूरा करवाने के लिए 31 दिसंबर 2022 तक समय सीमा निर्धारित की गई है और उन्हें उम्मीद है कि इस समय अवधि में सभी कार्य पूरे हो जाएंगे.
उन्होंने कहा कि हरियाणा में फसल अवशेष जलाने के मामले नॉर्थ इंडिया में सबसे कम मामले सामने आए हैं और आने वाले समय में एक भी मामला फसल अवशेष जलाने प्रदेश में नहीं होगा. उन्होंने सभी व्यक्ति विशेष और खासकर किसानों को पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने के लिए अपील की.