राख को लेकर किसानों और पुलिस में छिड़ी रार, चले आंसू गैस के गोले, बरसीं लाठियां
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राख को लेकर किसानों और पुलिस में छिड़ी रार, चले आंसू गैस के गोले, बरसीं लाठियां

थर्मल प्लांट की राख को लेकर किसानों और पावर प्लांट प्रबंधन की बीच कई दिनों से विवाद चल रहा था, जिसको लेकर किसानों ने सराकर के कई मंत्रियों से मुलाकात कर मसले को हल करने की कोशिश की थी, लेकिन किसानों का कहना है कि इन लोगों ने मामले को सुलझाने की कोशिश नहीं की.

राख को लेकर किसानों और पुलिस में छिड़ी रार, चले आंसू गैस के गोले, बरसीं लाठियां

हिसार: हिसार में खेदड़ थर्मल प्लांट की राख को लेकर किसानों ने आज यानी शुक्रवार को रेलवे ट्रैक को जाम करने की कोशिश की. इसके बाद किसानों ने ट्रैक्टर से बैरिकेड्स तोड़ दिए, जिसके बाद पुलिस और किसानों के बीच विवाद बढ़ गया. पुलिस ने किसानों पर पानी की बौछार की. इसके बाद भी किसानों ने बैरिकेड्स पार कर लिए, जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले फेंके. इस दौरान कई किसान और पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मामला बढ़ता देख डीसी प्रियंका सोनी और एसपी लोकेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे. बाकि के किसान अभी भी मौके पर डटे हुए हैं.

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इससे पहले किसानों ने 30 जून को अल्टीमेटम दिया था कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो 8 जुलाई को रेलवे ट्रैक जाम करेंगे. उन्होंने बताया कि जिस ट्रैक से थर्मल प्लांट को कोयला आता है, उसे जाम किया जाएगा. किसानों ने मंत्री अनूप धानक, विधायक जोगीराम सिहाग और बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का पंचायती तौर पर बहिष्कार कर दिया है. 

किसान नेता ईश्वर सिंह ने बताया कि राख विवाद पर कई दिनों से आंदोलन चल रहा है. इसको लेकर कमेटी ट्रैक पर पड़ाव डालेगी और कोयला रोका जाएगा. यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार हमारी बात नहीं मानती. किसानों ने बताया कि हमने सरकार को अल्टीमेटम दिया है. कई बार सरकार के मंत्रियों से मिले. रणजीत सिंह से बातचीत भी हुई, मामला सुलझने वाला ही था, लेकिन फिर भी बिजली मंत्री ढीले पड़ गए और मामला बीच में ही अटक गया. बिजली मंत्री की बातों से ऐसा लग रहा था कि राख का घोटाला किया जा रहा है.

बता दें कि खेदड़ थर्मल प्लांट से राख निकलती है. ग्रामीणों का दावा है कि गांव की गौशाला पहले राख उठाती थी, लेकिन बाद में खेदड़ थर्मल प्लांट प्रबंधन ने फैसला किया कि राख अब मुफ्त में नहीं दी जाएगी. इसको लेकर किसानों और प्रबंधन के बीच विवाद खड़ा हो गया है.

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