Haryana: पंचकूला के किसानों के लिए Mushroom की खेती बनी वरदान
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1524677

Haryana: पंचकूला के किसानों के लिए Mushroom की खेती बनी वरदान

Haryana News: मोरनी क्षेत्र के किसानों के लिस मशरूम की खेती वरदान साबित हो रही है . यहां के अधिकतर बेरोजगार युवा सरकार से अनुदान प्राप्त कर मशरूम की खेती मे अपना भागय चमका रहे हैं.

Haryana: पंचकूला के किसानों के लिए Mushroom की खेती बनी वरदान

दिव्या राणा/ पंचकुला: मोरनी क्षेत्र के किसानों के लिस मशरूम की खेती वरदान साबित हो रही है. यहां के अधिकतर बेरोजगार युवा सरकार से अनुदान प्राप्त कर मशरूम की खेती मे अपना भागय चमका रहे है. मोरनी क्षेत्र के किसानों के लिए सबसे ज्यादा मुनाफा इस खेती से प्राप्त हो रहा है. क्ंयोकि यहां पहले किसान परंपरागत खेती ही करते थे, जिसमें मक्का, गेंहू, सरसो, तिल, टमाटर के अलावा अन्य नगदी फैसले उगाते थे. मगर जंगली जानवरों के डर के कारण अधितर किसानों से इन फसलों को उगाना बंद कर मशरूम के खेती पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. जिसके हरियाणा सरकार भी अनुदान देकर किसानों के हौसले बुलंद कर रही है.

मिली जानकारी अनुसार मोरनी क्षेत्र में मशरूम के खेती के लिए उपयुक्त समय दिसंबर के पहले हफ्ते से शुरू होरकर मार्च के अंत तक चलता है. इसी से जागरूक होकर मोरनी के गांव छोई निवासी विवेक कौशिक युवक ने प्राईवेट नौकरी छोडकर मशरूम की खेती शरू की, जिसमें उन्हे अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

युवक ने बताया की मोरनी में मशरूम के खेती के लिए उपयुक्त वातावरण है और इस कार्य को करने के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होती ओर किसान इसको छोटे से कमरे से भी शुरू कर सकते हैं. इसके बाद सरकार द्वारा अनुदान लेकर बड़ा व्यवसाए भी शुरू कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Kurukshetra Haveli हत्याकांड: आरोपियों की सूचना देने वाले को पुलिस देगी लाख रुपये का ईनाम

युवक विवेक कौशिक ने बताया कि कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में फ्री बैठे थे तो विचार आया की मशरूम की खेती की जाए. तब मैंने एक 60x40 का एक शेड तैयार किया. उसमे मशरूम उगाने के लिए एक ढांचा तैयार किया. जिसमें तीन-तीन फूट चौड़ी रैक बनाकर मशरूम उगाने का काम किया है. प्रति वर्ग मीटर में 10 किलोग्राम मशरूम आराम से पैदा होती है.

मशरूम उगाने के लिए कम्पोस्ट तैयार करने की विधि
कम्पोस्ट को बनाने के लिए धान की पुआल को भिगोए और एक दिन बाद इसमें डीएपी, यूरिया, पोटाश, गेहूं का चोकर, जिप्सम और कार्बोफ्यूडोरन मिलाकर इसे सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. करीब डेढ़ महीने के बाद कम्पोस्ट तैयार होता है. अब गोबर की खाद और मिट्टी को बराबर मिलाकर करीब डेढ़ इंच मोटी परत बिछाकर, उस पर कम्पोस्ट की दो-तीन इंच मोटी परत चढ़ाई जाती है. इसमें नमी बरकरार रहे इसलिए स्प्रे से मशरूम पर दिन में दो से तीन बार छिड़काव किया जाता है. इसके ऊपर एक-दो इंच कम्पोस्ट की परत और चढ़ाई जाती है और इस तरह मशरूम की पैदावार शुरू हो जाती है.

सरकार ने मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिन तीन योजनाओं पर अनुदान देने का फैसला लिया है उसमें मशरूम उत्पादन इकाई, मशरूम स्पॉन इकाई तथा मशरूम कंपोस्ट उत्पादन इकाई शामिल है. इन तीनों योजनाओं की लागत 55 लाख है जिस पर किसानों को 50 फीसदी यानी 27.50 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा. अगर किसान अलग-अलग योजनाओं को लेना चाहें तो इसकी भी स्वतंत्रता है. किसान किसी भी योजना का चयन कर सकते हैं.

Trending news