Good Friday 2023: गुड फ्राइडे के दिन ही प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था. इसलिए इस दिन को ब्लैक फाइडे (black friday) के नाम से भी बुलाया जाता है. इस दिन लोग प्रभु यीशु मसीह (Lord Jesus Christ) के बलिदान को याद कर शोक जताते हैं.
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Good Friday 2023: 7 अप्रैल को पूरी दुनिया में गुड फ्राइडे मनाया जाएगा. इस दिन को होली फ्राइडे (holly friday), ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे (great friday) नाम से भी बुलाते हैं. ईसाई धर्म में ईस्टर रविवार (Easter Sunday) मसीह के पुनरुत्थान का एक आनंदमय उत्सव माना जाता है. वैसे तो भारत में हर त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन गुड फ्राइडे एक ऐसा त्यौहार है जिसे प्रभु यीशु मसीह के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे
गुड फ्राइडे के दिन ही प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था. इसलिए इस दिन को ब्लैक फाइडे (black friday) के नाम से भी बुलाया जाता है. इस दिन लोग प्रभु यीशु मसीह (Lord Jesus Christ) के बलिदान को याद कर शोक जताते हैं. यह वो दिन जब ईसाई धर्म के लोग यीशु मसीह के क्रूस को याद करते हैं. इस दिन ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे को तपस्या, दुःख और उपवास रखते हैं.
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जानें, क्या है गुड फ्राइडे का इतिहास
बाइबल के इतिहास के मुताबिक, 2000 साल पहल यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसाई धर्म के लोगों को यीशु मसीह ने मानवता, एकता और अहिंसा का संदेश दिया था. यीशु मसीह के प्रचार से लोग काफी प्रभावित हुए और उन्हें भगवान का दर्जा देने लगे. मगर यहूदी शासकों को ये बात पसंद नहीं आई. उन्होंने यीशु मसीह को बंदी बना लिया और उन्हें शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी, जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया, उस दिन शुक्रवार था.
सूली पर चढ़ाए जाने के शारीरिक और मानसिक यातनाएं के बाद भी यीशु मसीह ने अपने आखिरी शब्दों में कहा कि "हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं" हे पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूं."
ऐसे मनाते हैं गुड फ्राइडे
बेहद ही कम लोग जानते हैं कि गुड फ्राइडे से पहले ईसाई धर्म के लोग 40 दिनों के उपवास रखते हैं. गुड फ्राइडे दिन लोग काले रंग के कपड़े पहनकर चर्च जाते हैं, शोक जताते हैं और यीशु से अपने गुनाहों की क्षमाप्रार्थना करते हैं. गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार के दिन ईस्टर मनाया जाता है. इस दिन लोग कैंडिल नहीं जलाते और न ही चर्च में घंटियां बजाते हैं.