सोनीपत में बने कफ सिरप से नहीं हुई अफ्रीकी देश गांबिया में बच्चों की मौत! सवालों के घेरे में WHO
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सोनीपत में बने कफ सिरप से नहीं हुई अफ्रीकी देश गांबिया में बच्चों की मौत! सवालों के घेरे में WHO

भारत सरकार ने जांच में पाया था कि वो कफ सिरप अमेरिका की एक कंपनी ने गांबिया में बेचने के लिए भारत की फार्मा कंपनी मेडन फार्मा से बनवाए थे. ये कफ सिरप केवल गांबिया के लिए ही बनाए गए.

सोनीपत में बने कफ सिरप से नहीं हुई अफ्रीकी देश गांबिया में बच्चों की मौत! सवालों के घेरे में WHO

नई दिल्ली : अफ्रीकी देश गांबिया (Gambia) की मेडिसन कंट्रोल एजेंसी के एक खुलासे से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सवालों के घेरे में आ खड़ा हुआ है. Gambia की मेडिसन कंट्रोल एजेंसी ने कहा है कि उनके देश में 66 बच्चों की रहस्यमय मौत के पीछे का कारण अभी तक वो साफ नहीं कर सके हैं.

अक्टूबर में गांबिया में 66 बच्चों की मौत के बाद शक जताया गया था कि इन मौतों की असली वजह हरियाणा (भारत) के सोनीपत स्थित मैडन फार्मास्यूटिकल लिमिटेड से एक्सपोर्ट किए चार कफ और कोल्ड कफ सिरप पीना बताया गया था. WHO ने जिन चार सिरप को लेकर अलर्ट जरी किया था, उनमें प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मैकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप शामिल हैं.

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WHO की रिपोर्ट के मुताबिक प्रयोगशाला में हुई जांच के दौरान इन सभी सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की जरूरत से ज्यादा मात्रा गई है. WHO ने भारत सरकार से मामले की जांच करने को कहा था, लेकिन भारत सरकार ने इस कदम का कड़ा विरोध किया था. 

अब Gambia की मेडिसन कंट्रोल एजेंसी ने साफ किया कि जान गंवाने वाले ज्यादातर बच्चे ऐसे थे, जिन्होंने कफ सिरप पिया ही नहीं था. अब ये जांच की जा रही है कि बच्चों की मौत कफ सिरप से हुई थी या किसी बैक्टीरिया का शिकार होने की वजह से. भारत सरकार ने जांच में पाया था कि वो कफ सिरप अमेरिका की एक कंपनी ने गांबिया में बेचने के लिए भारत की फार्मा कंपनी मेडन फार्मा से बनवाए थे. ये कफ सिरप केवल गांबिया के लिए ही बनाए गए.

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कफ सिरप का फॉर्मूला अमेरिका से तय हुआ था. भारत या किसी दूसरे देश में इस सिरप की कोई खपत नहीं थी. भारत सरकार के मुताबिक ऐसे मामलों में पहली जिम्मेदारी गांबिया की बनती है कि कोई भी नई दवा को वो टेस्ट करके ही इस्तेमाल करेगा. हर देश बाहर से मंगाई गई दवाओं के मामले में ऐसा ही किया जाता है.

अगर उस देश में ऐसा कोई सिस्टम न हो तो WHO की जिम्मेदारी बनती है कि किसी देश में दवा को क्वालिटी चेक के बाद ही भेजा जाए, लेकिन दोनों काम नहीं किए गए. अब WHO की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. भारत का कहना है कि जब गांबिया में ही मौतों की वजह अब तक तय नहीं हो पाई तो कैसे भारत की फार्मा इंडस्ट्री को कठघरे में क्यों खड़ा कर दिया गया.