Faridabad News: अंर्तराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट किक बॉक्सर कुकरेजा सिस्टर्स ने 4 महीने में 2 बार राष्ट्रपति से मिलने का बनाया रिकॉर्ड
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Faridabad News: अंर्तराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट किक बॉक्सर कुकरेजा सिस्टर्स ने 4 महीने में 2 बार राष्ट्रपति से मिलने का बनाया रिकॉर्ड

Faridabad Hindi News: कुकरेजा सिस्टर्स ने मात्र चार माह में दो बार महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से आशीर्वाद प्राप्त करके अनोखा रिकॉर्ड बनाया. फरीदाबाद की मोनल कुकरेजा विश्व प्रतियोगिता में कांस्य पदक और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर सात बार लगातार स्वर्ण पदक जीते साथ ही नीरल कुकरेजा ने तीन बार स्वर्ण, एक बार रजत एवं एक बार कांस्य पदक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीत कर देश का नाम रोशन किया.

Faridabad News: अंर्तराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट किक बॉक्सर कुकरेजा सिस्टर्स ने 4 महीने में 2 बार राष्ट्रपति से मिलने का बनाया रिकॉर्ड

Faridabad News: जितना बड़ा सपना होगा, उतनी ही बड़ी तकलीफ होगी और जितनी बड़ी तकलीफ होगी, उतनी ही बड़ी आपकी जीत होगी. ऐसा फरीदाबाद की अंर्तराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट किक बॉक्सर कुकरेजा सिस्टर्स मोनल और नीरल कुकरेजा का मानना है. 

छोटी उम्र में कठिन संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करते हुए मोनल और नीरल कुकरेजा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दोबारा आशीर्वाद प्राप्तकर एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है. जोकि सोच से परे है. इसी साल अगस्त 2023 में मोनल व नीरल कुकरेजा को उनके स्कूल की तरफ से राष्ट्रपति से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ. यह बहुत ही गर्व की बात है कि राष्ट्रपति ने अपने हाथ से इन दोनों अंर्तराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट किक बॉक्सर कुकरेजा सिस्टर्स को मेडल पहनाए और आशीर्वाद दिया. उसके बाद उनकी योग्यताओं को देखते हुए परिवार समेत उनको राष्ट्रपति से मिलने का आमंत्रण मिला. इस पर कुकरेजा सिस्टर्स के साथ पिता दलीप कुकरेजा और माता निशा कुकरेजा साथ थे. यह सिर्फ परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि साथ ही साथ फरीदाबाद के लिए भी फक्र करने वाला लम्हा है.

बता दें कि मोनल व नीरल कुकरेजा देश-विदेश में अनेकों मेडल प्राप्त कर चुकी हैं. मोनल कुकरेजा विश्व प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत चुकी है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सात बार लगातार स्वर्ण पदक जीतकर भारत का परचम लहराया है. वहीं नीरल कुकरेजा ने तीन बार स्वर्ण एक बार रजत एवं एक बार कांस्य पदक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीतकर देश, प्रांत, जिले व परिवार का नाम रोशन किया है. दोनों बहनों को फरीदाबाद की गीता-बबीता कहकर बुलाया जाता है. कुकरेजा सिस्टर्स के नाम से इनकी जोड़ी मशहूर है. इन दोनों बहनों ने इस बात को सच साबित कर दिखाया है कि बेटियां भी परिवार व देश का नाम रोशन कर रही हैं. बेटियां भी बेटों से कम नहीं है.

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पिछले 10 वर्ष से मोनल कुकरेजा ने तथा 5 वर्ष से नीरल कुकरेजा ने अपने जज्बे, मेहनत, लगन, हिम्मत के बल पर किक बॉक्सिंग में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. हालांकि किकबॉक्सिंग अभी ओलंपिक गेम्स का हिस्सा नहीं बनी है और दोनों बहनों का एक लक्ष्य है कि ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर अपने देश का परचम लहराना. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वे समय-समय पर सरकार से भी गुजारिश कर चुके हैं कि किक बॉक्सिंग खेल को ओलंपिक में शामिल किया जाए, जिससे कि किक बॉक्सिंग खेल को खेलने वाले सभी खिलाडियों का उत्साह बढ़े और भविष्य सुनहरा हो.

मोनल कुकरेजा ने बताया कि वह किक बॉक्सिंग खेलती है वह पिछले 10 साल से खेल रही है और लगातार 7 साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडलिस्ट है. तुर्की, उज्बेकिस्तान, रसिया, जॉर्डन, इटली जैसे देशों में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्ड मेडल जीते हैं. वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता है.

तो वहीं मोनल की छोटी बहन निरल कुकरेजा ने बताया कि वह पिछले 5 साल से केक बॉक्सिंग खेल रही हैं और तीन बार लगातार इंटरनेशनल स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल किए हैं और पांच बार राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल किया है. मोनल ने कहा कि हम किक बॉक्सिंग खेलते हैं. वह केवल खेल नहीं है, सेल्फ डिफेंस के रूप में भी हम उसे देख सकते हैं जो टेक्निक्स जो तकनीक हम केक बॉक्सिंग में इस्तेमाल करते हैं वह सभी को आने चाहिए. खासकर लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए भी अब लोग अपने लड़कियों को आगे बढ़ा रहे हैं. हमारी छोरियां क्या छोरों से कम है.

बच्चों की उपलब्धि में निश्चित तौर पर माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है तो वहीं उनके कोच का भी बहुत ज्यादा सहयोग रहा है. कुकरेजा सिस्टर के माता-पिता ने बताया कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. 4 महीने के अंदर दो बार राष्ट्रपति से मिले हैं. उन्होंने आशीर्वाद दिया है और बच्चों के जरिए हमें भी राष्ट्रपति का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है. वैसे तो आजकल समय बदल गया है. माता-पिता बहुत जागरूक हो गए हैं, लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में बेटे-बेटियों का भेदभाव है. बेटियां किसी से कम नहीं है. बल्कि बेटियां भी बेटों से बढ़कर है. हमें उनके साथ कदम से कदम मिलाकर उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए. क्योंकि वह भी आसमान छूने को तैयार हैं.

इसी के साथ कुकरेजा सिस्सटर के स्कूल के चेयरपर्सन पवन गुप्ता ने अपने स्कूल के छात्राओं की उपलब्धियां पर खुशी जताते हुए कहा कि बहुत अच्छा लगता है मैं चाहता हूं कि दोनों वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपिक जीते. इसी में हमारी शान है. 

Input: Amit Chaudhary

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