देशभर में दशहरे का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. तभी से आज के दिन हर साल रावण का दहन किया जाता है, लेकिन एक जगह ऐसी है, जहां दशहरे के एक दिन बाद रावण का दहन किया जाता है.
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Dussehra 2022: आज देशभर में दशहरे का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान हो रहीं रालीलाओं में आज रावण का वध किया जाएगा. वहीं एक भारत के उत्तर प्रदेश में एक जगह ऐसी भी है, जहां दशहरे के दिन रावण का वध नहीं किया जाता. यह जगह पीलीभीत के बीसलपुर में हैं. यहां दशहरे के एक दिन बाद रावण का वध किया जाता है. साथ ही अगर अगले दिन शनिवार पड़ जाए तो रावण का वध एक और दिन के लिए टल जाता है. बीसलपुर की इस रामलीला को लोग सच्ची राम लीला के नाम से जानते हैं.
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बतां दें कि बीसलपुर की रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले 3 कलाकार गंगा विष्णु उर्फ कल्लू मल, अक्षय कुमार और गणेश कुमार की मृत्यु रामलीला में राम का तीर लगने से हुए थी. इसके बाद से ही यहां यह परंपरा बन गई कि अब रावण का दहन दशहरे के एक दिन बाद करेंगे. इसके बाद से ही इस रामलीला को सच्ची रामलीला कहा जाने लगा. साथ ही यहां पर रामलीला मंच पर नहीं बल्कि खुले मैदान में होती है. इस कारण भी इसे सच्ची रामलीला कहते हैं.
1941 में हुई पहली मौत
रावण का किरदार निभाते हुए पहली बार 1941 में गंगा उर्फ कल्लू मल की मौत हुई थी. कल्लू मल ने पहली बार ही रावण की भूमिका निभाई थी. बता दें कि इनकी मौत रामलीला में राम-रावण युद्ध के दौरान राम का तीर लगने से हुई थी. कल्लू मल की मौत के बाद रामलीला मैदान में एक दशानन की बड़ी मूर्ती लगा दी. इस पर लिखा गया कि राम के तीर से कल्लू मल बने रावण को मोक्ष प्राप्त हुआ है.
घरवालों को नहीं मिली थी अस्थियां
बता दें कि कल्लू मल की मौत के बाद रामलीला मैदान में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. इसके बाद उनकी अस्थियां और राख को लोग उठाकर भाग गए. इस कारण उनके परिवार को उनकी अस्थियां तक नहीं मिल पाई थीं.
लोग बोलते हैं जय रावण
इसके 46 साल बाद फिर से ये ही इत्तेफाक हुआ. 1987 को दशहरे के दिन राम रावण युद्ध चल रहा था. इसके बाद राम ने रावण को तीर मारा. तीर लगते ही रावण नीचे गिर गया, लेकिन कुछ देर तक रावण का किरदार निभाने वाले गंगा विष्णु नहीं उठे तो उनको डॉक्टर को दिखाया गया. इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इसे बाद से ही यह रामलीला सच्ची रामलीला के नाम से मशहूर हो गई. इसके बाद से ही यहां के लोग रावण की पूजा करने लगे. यहां पर जो भी शुभ काम होता है तो वह लंकेश के नाम से ही होता है. इतना ही नहीं रावण के नाम से यहां पर एक मंदिर भी है. अब यहां पर लोग जय श्री राम नहीं जय रावण बोलते हैं.