Diwali Laxmi Puja Muhurat 2023: इस बार दिवाली का त्योहार 12 नवंबर, 2023 यानी की आज पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. आज दिवाली के शुभ अवसर पर 5 राजयोग के साथ 8 शुभ योग बनने जा रहे हैं. यह राजयोग 700 साल बाद बन रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कि लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त और शुभ योग…
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Diwali Laxmi Puja Muhurat 2023: हिंदू धर्म में दिवाली को सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. पूरे देश में दिवाली का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. दिवाली के शुभ मौके पर घर में मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश, कुबेर की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. कुछ लोग दिवाली को कालरात्रि के नाम से भी बुलाते हैं.
इस साल दिवाली का त्योहार 12 नवंबर, 2023 यानी की आज पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. दिवाली की तैयारी एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है. ज्योतिष के अनुसार, आज दिवाली के शुभ अवसर पर 5 राजयोग के साथ 8 शुभ योग बनने जा रहे हैं. यह राजयोग 700 साल बाद बन रहे हैं, जिसकी वजह से दिवाली और भी खास होने वाली है. तो चलिए जानते हैं कि लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त और शुभ योग…
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लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी की रविवार, दिनांक 12 नवंबर, 2023 को प्रदोषकाल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनायी जायेगी. वहीं लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिर नवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
प्रात: काल का समय- प्रात: 8 बजकर 9 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
दोपहर का समय- दोपहर 01:32 से दोपहर 02:52 तक
अभिजित मुहूर्त- प्रात: 11:48 से दोपहर 12:34 तक
सर्वश्रेष्ठ पूजन का समय- सायं 06:01 से सायं 06:16
प्रदोष काल- सायं 05:35 से रात्रि 08:14 तक
वृषलग्न- सायं 05:51 से रात्रि 07:48 तक
सिंह लग्न- मध्यरात्रि 12:21 से अंतरात्रि 02:37 तक
शुभ-अमृत- चर का चौघड़िया :- सायं 05:35 से रात्रि 10:33 तक
लाभ का चौघड़िया- मध्यरात्रि 01:51 से अंतरात्रि 03:31 तक
शुभ का चौघड़िया- अंतरात्रि 05:09 से अंतरात्रि 06:47 तक
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दिवाली पर लक्ष्मी पूजा विधि
दिवाली वाले दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान करें. इसके बाद पूजा के लिए घर के मंदिर की सफाई करें. इसके बाद चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं. इसके बाद ईशान कोण में कलश स्थापित करें. क्योंकि, इस लश में ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं को निवास होता है. इसके बाद कलश में गंगाजल, पानी, पंच पल्लव, सप्तधान्य डाले और कलश के ऊपर की ओर रक्षा सूत्र बांधे. इसके बाद कलश के ऊपर नारियल स्थापित कर दें.
इन सभी प्रक्रिया के बाद चौकी पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना कर दें. पूजा से पहले गणेश भगवान का टीका करें और दूर्वा चढ़ाएं. साथ ही मोदक, फल, गंध, धूप, दीप, जनेऊ, पान, सुपारी, आदि ऊं गं गणपतये नम: मंत्र उच्चारण के साथ अर्पित करें. इसके बाद मां लक्ष्मी की पूजन करें. पहले पुष्प, कमलगट्टा, अक्षत्, कुमकुम, कौड़ी, शंख, धूप, दीप, वस्त्र, फल, सफेद मिठाई, खील, बताशे अर्पित करते हुए पूजन करें. इसके बाद अन्य देवी- देवताओं का भी पूजन करें. साथ ही पूजन के बाद श्रीसूक्त और कनकधारा स्त्रोत का पाठ जरूर करें. इन स्त्रोत का पाठ करने से मां लक्ष्मी का प्रसन्न होती हैं.
पूजा मंत्र
गणेश मंत्र-
गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
म् उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
लक्ष्मी मंत्र-
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥
कुबेर मंत्र-
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥