Delhi News: दिल्ली में तय पार्किंग के बिना अब इमारत बनाने की मंजूरी नहीं, जानें क्यों
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Delhi News: दिल्ली में तय पार्किंग के बिना अब इमारत बनाने की मंजूरी नहीं, जानें क्यों

Delhi News: बेंच ने यह भी पूछा कि क्या दिल्ली-एनसीआर में किसी परिवार द्वारा दूसरी या तीसरी कार खरीदने पर कोई प्रतिबंध है. यह सवाल इसलिए उठाया गया क्योंकि अधिक वाहनों का होना प्रदूषण को बढ़ाता है

Delhi News: दिल्ली में तय पार्किंग के बिना अब इमारत बनाने की मंजूरी नहीं, जानें क्यों

No Building Without Parking Lot: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण के मामले में सख्त कदम उठाते हुए कहा है कि अब बिना निर्धारित पार्किंग स्थल के किसी भी इमारत का निर्माण नहीं किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार के अलावा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को भी नोटिस जारी किया है. जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की बेंच ने दिल्ली नगर निगम और डीडीए जैसे प्राधिकारियों से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी को निर्धारित की है.

जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जवल भुइयां ने कहा कि अपार्टमेंट बनाने की अनुमति देने वाले मानदंडों पर चर्चा की जाएगी. बेंच ने डीडीए और दिल्ली नगर निगम से पूछा कि दिल्ली मास्टर प्लान इस संदर्भ में क्या कहता है और आवासीय भवन निर्माण की अनुमति देने की प्रक्रिया क्या है. यह सवाल महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह स्पष्ट होगा कि वर्तमान नियमों में क्या बदलाव की आवश्यकता है.

एमसीडी और डीडीए सहित विभिन्न प्राधिकारियों से मांगा जवाब 
बेंच ने यह भी पूछा कि क्या दिल्ली-एनसीआर में किसी परिवार द्वारा दूसरी या तीसरी कार खरीदने पर कोई प्रतिबंध है. यह सवाल इसलिए उठाया गया क्योंकि अधिक वाहनों का होना प्रदूषण को बढ़ाता है. जस्टिस ओका ने कहा कि हमें एक मजबूत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की आवश्यकता है, जिससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर में वाहनों से होने वाले प्रदूषण की वृद्धि पर एमसीडी और डीडीए सहित विभिन्न प्राधिकारियों से जवाब मांगा है. जस्टिस ओका ने कहा कि हमें इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है. अदालत ने यह भी पूछा कि दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को किफायती बनाने के लिए क्या योजना बनाई है.

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सीएक्यूएम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण के कारण खराब वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार है. इस संदर्भ में, उसने दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्यों से उत्सर्जन मानकों और प्रदूषण मानदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने के लिए कहा है. यह सुनवाई 1985 में पर्यावरणविद् एम.सी. मेहता द्वारा दायर जनहित याचिका पर हो रही है. हाल ही में, अदालत ने देश में वाहनों के लिए होलोग्राम-आधारित 'कलर-कोडेड स्टिकर' अनिवार्य बनाने पर विचार किया है. 

स्टिकर अनिवार्य करने पर विचार
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह एनसीआर से परे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्टिकर अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. वर्ष 2018 में, अदालत ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक प्रस्ताव को स्वीकार किया था, जिसमें एनसीआर में पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए हल्के नीले रंग के स्टिकर और डीजल वाहनों के लिए नारंगी रंग के स्टिकर का उपयोग करने की बात कही गई थी. इन स्टिकरों से वाहनों की पहचान ईँधन के आधार पर आसानी से की जा सकेगी. इनमें वाहनों के पंजीकरण तारीख भी शामिल होनी चाहिए. इन एनसीआर के राज्यों में राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.