Delhi elections 2025: बीच चुनाव में एलजी क्यों हैं ‘आप’ पर हमलावर?
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Delhi elections 2025: बीच चुनाव में एलजी क्यों हैं ‘आप’ पर हमलावर?

Delhi elections 2025: दिल्ली में उपराज्यपाल विवेक सक्सेना राजनीतिक विवाद के हमेशा केंद्र में रहे हैं. नववर्ष पर मुख्यमंत्री आतिशी को लिखी गई चिट्ठी हो या फिर ताजातरीन शकूर बस्ती की झुग्गियों की जमीन का लैंडयूज बदल जाने का मामला- एलजी विवेक सक्सेना के बयानों ने दिल्ली की सियासत में उबाल ला दिया.

Delhi elections 2025: बीच चुनाव में एलजी क्यों हैं ‘आप’ पर हमलावर?

Delhi elections 2025: दिल्ली में उपराज्यपाल विवेक सक्सेना राजनीतिक विवाद के हमेशा केंद्र में रहे हैं. नववर्ष पर मुख्यमंत्री आतिशी को लिखी गई चिट्ठी हो या फिर ताजातरीन शकूर बस्ती की झुग्गियों की जमीन का लैंडयूज बदल जाने का मामला- एलजी विवेक सक्सेना के बयानों ने दिल्ली की सियासत में उबाल ला दिया. आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दस्तावेज जारी करते हुए कहा है कि उपराज्यपाल झूठ बोल रहे हैं जबकि उपराज्यपाल ने अरविन्द केजरीवाल को चेताया है कि वे झूठ ना बोलें अन्यथा डीडीए उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा.

यह बड़ा प्रश्न है...

एलजी ने एक पॉडकास्ट में दिल्ली जल बोर्ड की ओर से सात साल में 28000 करोड़ रुपये खर्च करने का तथ्य रखते हुए कहा है कि यह राशि शहर में पाइपलाइन को बदलने के लिए पर्याप्त राशि है. फिर भी ये पाइप लाइन बदले नहीं जा सके. दिल्ली के लोग सीवर के गंदे पानी के बीच रहने को मजबूर हैं. इस स्थिति के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार को एलजी ने जिम्मेदार ठहराया. एक ऐसे समय में जब दिल्ली में आचारसंहिता लगी हुई है. चुनाव प्रक्रिया चल रही है. आम आदमी पार्टी और उसकी सरकार पर इल्जाम लगाने का काम स्पर्धी राजनीतिक दलों का होगा या एलजी का?- यह बड़ा प्रश्न है. 

कानून व्यवस्था पर चुप क्यों हैं उपराज्यपाल?

दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद बुरी है. दिल्ली में हर दो घंटे पर महिलाओं का अपहरण, हर दिन तीन बलात्कार की घटनाएं घट रही हैं. देश के मेट्रोपॉलिटन सिटी में दिल्ली अपराध के मामले में टॉप पर है. इसके लिए क्या एलजी ने केंद्रीय गृहमंत्रालय से कभी कोई सवाल-जवाब किया? जून 2023 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एलजी को चिट्ठी लिखकर दिल्ली में कानून व्यवस्था को लेकर चिंता जताई थी. हर दिन 23 बच्चे और 40 सीनियर सिटिजन व महिलाएं घृणित अपराध का शिकार हो रहे हैं. 2022 में औसतन 1189 अपराध हर दिन दिल्ली में दर्ज हुए. तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने चिट्ठी में खास तौर से उल्लेख किया था कि एलजी विनय सक्सेना के नेतृत्व में अपराध की दर 1832 घटनाएं प्रति लाख आबादी पर हो रही हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि दिल्ली में महज 30 प्रतिशत मामलों में ही आरोप दायर होते हैं. कई तरह के गैंग दिल्ली की जेल से ही अपना गिरोह चला रहे हैं. आए दिन बम की अफवाह और कई दिन बम विस्फोट की घटनाएं हुई हैं. कभी एलजी विवेक सक्सेना ने कानून व्यवस्था को लेकर 

सवाल क्यों नहीं उठाए?

देश के संघीय ढांचे में अगर उपराज्यपाल और राज्यपाल चुनी हुई सरकार पर इस तरह उंगलियां उठाने लगे तो राज्यों के अधिकार ख़तरे में पड़ जाएंगे. माना कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास शक्तियां ज्यादा हैं. वे स्वयं दिल्ली में सरकार हैं. ऐसे में वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करें तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी. इसके बजाए अगर वे राजनीतिक दल की तरह सार्वजनिक मंचों से सरकार पर उंगली उठाए, मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री पर उंगली उठाएं तो यह निश्चित रूप से चिन्ता की बात हो जाती है. 

शकूर बस्ती की झोपड़ी वाली जमीन का लैंड यूज बदला या नहीं?

पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अगर कहते हैं कि शकूर बस्ती की झुग्गियों की जमीन का लैंड यूज डीडीए या रेलवे के माध्यम से बदला गया है तो यह सही या गलत हो सकता है. मगर, क्या इसलिए एलजी को अधिकार मिल जाता है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री या आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल को धमकी दें? आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी है. इस नाते पार्टी के मुखिया को जनता की आवाज़ उठाने का अधिकार होता है. उन्हें चुप नहीं कराया जा सकता. क्या धमकी देकर अरविन्द केजरीवाल को चुप कराना तानाशाही नहीं है?  अरविन्द केजरीवाल को चुप कराने के बजाए चाहें तो एलजी अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं. लेकिन, ऐसा वे नहीं कर रहे हैं. मतलब साफ है कि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी विरोधी राजनीतिक रुख अपनाते दिख रहे हैं एलजी. 

एलजी पर ‘आप’ का पलटवार

आतिशी सरकार ने एलजी को जो जवाब दिया है उस पर एलजी को गौर करना चाहिए. आतिशी सरकार ने दावा किया है कि दिल्ली में सबसे कम महंगाई है, प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है, मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी देने में दिल्ली सबसे आगे है. आगे मुख्यमंत्री आतिशी एलजी को क्षुद्र राजनीति नहीं करने की सलाह देती हैं. क्या एलजी का काम चुनाव के दौरान सरकार की नाकामी बताकर सत्तारूढ़ पार्टी से सवाल करना है? यह काम तो राजनीतिक दलों का होता है. वोट मांगते समय वो ऐसा करते हैं. बीजेपी, कांग्रेस सभी दिल्ली में आम आदमी पार्टी पर हमलावर हैं. 

एलजी क्यों हमलावर हैं, यह बात समझ से परे

नव वर्ष के अवसर पर भी एलजी ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी. बताया था कि उन्हें दुख पहुंचा है कि मुख्यमंत्री आतिशी को अरविन्द केजरीवाल ने खुलेआम अस्थायी मुख्यमंत्री बताया है. संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. अस्थाई मुख्यमंत्री आतिशी को कहा गया या नहीं, यह भी विवादास्पद बात है. अगर कहा भी गया तो अरविन्द केजरीवाल किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं, जिनकी बात पर दिल्ली के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन एलजी प्रतिक्रिया दें. अगर एक्शन लेने वाली कोई बात बनती है तो वे ले सकते हैं. मगर, वे भी जानते हैं कि ऐसी बातों की कानूनी अहमियत नहीं होती. लिहाजा मुख्यमंत्री आतिशी ने जवाबी चिट्ठी लिखकर एलजी विवेक सक्सेना को ओछी राजनीति नहीं करने की सलाह दी. सीएम और एलजी के बीच यह लड़ाई दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान थमने वाली नहीं लगती. यह आगे और बढ़ेगी. मूल चिंता का विषय यह है कि मनोनीत उपराज्यपाल अगर निर्वाचित मुख्यमंत्री को राजनीति सिखाएं, तो यह पद की गरिमा पर सवाल तो उठाते ही हैं, पद के दुरुपयोग का भी डंका बजता है.

(रंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार)