MCD Election से पहले निकला दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले का 'जिन्न', ACB ने दर्ज की FIR
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1439376

MCD Election से पहले निकला दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले का 'जिन्न', ACB ने दर्ज की FIR

आरोप है कि दिल्लीवासियों से पानी के बिल के रूप में वसूले गए 20 करोड़ रुपये कई वर्षों तक डीजेबी के बैंक खाते के बजाय एक निजी बैंक खाते में डाले गए. उपराज्यपाल विनय सक्सेना (LG VK Saxena) ने सितंबर में मुख्य सचिव को इस मामले की जांच कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. 

MCD Election से पहले निकला दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले  का 'जिन्न', ACB ने दर्ज की FIR

नई दिल्ली. एमसीडी चुनाव (MCD Election) से ठीक पहले दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) में हुए 20 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एफआईआर दर्ज कर ली है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना (LG VK Saxena) ने सितंबर में मुख्य सचिव को इस मामले की जांच कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था.

इस मामले में संबंधित डीजेबी अधिकारियों, बैंक अधिकारियों और इसमें शामिल निजी संस्थाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और घोटाले की राशि जल्द से जल्द वसूल करने का आदेश दिया गया था. एलजी ने कहा था कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों/कर्मचारियों की उक्त धनराशि की हेराफेरी में शामिल अधिकारियों की पहचान की जाए, उनकी जिम्मेदारी तय की जाए और उस पर की गई कार्रवाई पर 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.

आरोप है कि दिल्लीवासियों से पानी के बिल के रूप में वसूले गए 20 करोड़ रुपये कई वर्षों तक डीजेबी के बैंक खाते के बजाय एक निजी बैंक खाते में डाले गए. दरअसल जून 2012 में डीजेबी ने एक आदेश जारी कर तीन साल के लिए पानी के बिल जमा करने के लिए कॉर्पोरेशन बैंक को नियुक्त किया. बदले में बैंक ने अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन करते हुए डीजेबी अधिकारियों की जानकारी में एक निजी एजेंसी मैसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्रा. लिमिटेड को बिल वसूली का काम सौंप दिया.

ये भी पढ़ें : Delhi MCD Election 2022 : AAP ने बॉबी किन्नर को दिया टिकट, इस वार्ड से देंगे BJP प्रत्याशी को टक्कर

आरोप है कि बैंक अधिकारियों के संज्ञान में एजेंसी ने बिल के करीब 20 करोड़ रुपये दिल्ली जल बोर्ड के बैंक खाते में स्थानांतरित नहीं किए गए. आरोप है कि इस बात की जानकारी मिलने के बाद भी केजरीवाल की अध्यक्षता वाले जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक के अनुबंध को आगे बढ़ा दिया और 2016, 2017 और 2019 में भी इसे रीन्यू कर दिया गया. उपभोक्ताओं से चेक और नकदी वसूल करने वाली कंपनी मैसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्रा लिमिटेड जो 2020 तक बैंक के संग्रह एजेंट के रूप में काम करता रहा.

डीजेबी ने न केवल उनका अनुबंध बढ़ाया, बल्कि उनकी सेवा शुल्क 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये प्रति बिल कर दिया. जांच के बाद सामने आया कि दिल्ली के लोगों से नकद में एकत्र किए गए बिल की राशि डीजेबी के बैंक खाते में जमा करने के बजाय फेडरल बैंक में जमा की गई थी और वहां से इसे एक मैसर्स ऑरम ई-पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के निजी खाते में स्थानांतरित कर दिया गया था.