DDA ने युमना बाजार में बने यमुना घाट पर रहने वाले लोगों को डिमोलिशन नोटिस भेजा है. इसके बाद से यहां रह रहे लोगों में हड़कंप मच गया है. लोगों का कहना है कि हम यहां 1917 से रह रहे हैं और DDA 1957 में बनी है.
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नई दिल्ली: दिल्ली के युमना बाजार में बने यमुना घाट पर रहने वाले लोगों पर डीडीए (DDA) डिमोलिशन के नोटिस के बाद हड़कंप मच गया है. इस घाट पर पंडा परिवार कई सालों से यहां रह रहा है. अचानक आए इस नोटिस से उनकी नींद उड़ गई है. इनका कहना है की सौंदर्यीकरण के नाम पर उन्हें उजाड़ने की साजिश की जा रही है. हम अंग्रेजों के समय से यहां पर रहते आ रहे हैं. हमारे पास 1917 से अंग्रेजों द्वारा सेंसन प्लान भी मौजूद है.
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पंडा परिवार का कहना है कि सौंदर्यीकरण के नाम पर DDA घाटों को हटाने की कोशिश की जा रही है, जो हम नहीं होने देंगे. हमारी कई पीढ़ियां यहां पर कई साल से रहती आ रही हैं. 80 साल से शकुंतला देवी का कहना है कि नोटिस आने के बाद से हमारी नींद उड़ गईं है. हमारी रोजी-रोटी यहीं से चलती है.
इन घाटों पर रहने वाले पंडा परिवारों का कहना है कि हम भी चाहते हैं कि घाटों का सौंदर्यीकरण किया जाए, लेकिन सौंदर्यीकरण के चलते जो यहां पर परिवार सालों से रहते आ रहे हैं. उन्हें न उजाड़ा जाए. नोटिस आने के बाद हमने अधिकारियों से बात करी, लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पाया है. हमारा साफ कहना है कि हम यहां से नहीं जाएंगे. यह हमारी जमीन है 1917 से पहले रहते आ रहे हैं, जबकि डीडीए 1957 में बनी थी.
लोगों का कहना है कि नोटिस में साफ लिखा है कि 10 तारीख से पहले हाटो को पूरी तरह से खाली कर दिया जाए, जिसकी वजह से हम सब दहशत में हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि सौंदर्यीकरण के नाम पर हमें न उजाड़ा जाए. यहां रहने वाली महिला का कहना है कि हम यहा पर नए आकर नहीं बसे हैं. बल्कि अंग्रेजों के जमाने के रहने वाले हैं, लेकिन आज हमें उजाड़ने की साजिश की जा रही है.