कहानी NOIDA की जिसकी कवायद 1972 में हुई शुरू और जन्म हुआ इमरजेंसी के दौरान
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कहानी NOIDA की जिसकी कवायद 1972 में हुई शुरू और जन्म हुआ इमरजेंसी के दौरान

साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान दक्षिण दिल्ली के ओखला इंडस्ट्रियल एरिया को UP Industrial Act 1976 के तहत नोएडा घोषित किया गया. इस शहर को बसाने के लिए नोएडा अथॉरिटी की स्थापना हुई. जिसके नाम पर ही शहर का नाम भी नोएडा रखा गया.

कहानी NOIDA की जिसकी कवायद 1972 में हुई शुरू और जन्म हुआ इमरजेंसी के दौरान

रेनू अकर्णिया/नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के गौतम बुद्ध नगर जिलाध्यक्ष भूपेंद्र जादौन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग की है. जादौन ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि नोएडा के लोग दिल्ली के सबसे नजदीक होते हुए भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, नोएडा वासियों को दिल्ली की तर्ज पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए नोएडा को दिल्ली में शामिल किया जाना चाहिए. हालांकि आप नेता की मांग कोई पहली नहीं है, नोएडा का नाम कई बार पहले भी सुर्खियों में आ चुका है. इसके नाम बदलने को लेकर भी कई बार फाइल ऊपर-नीचे हुई लेकिन नाम नहीं बदला जा सकता. 

अब इसे आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. पीएम मोदी इस पर क्या संज्ञान लेते हैं. यह तो वही जानेंगे, लेकिन हम आपको NOIDA की कहानी बताएंगे, ये भी बताएंगे कि नोएडा कोई नाम नहीं बल्कि एक अथॉरिटी है. कैसे यह एमरजेंसी के दौरान चर्चित हुआ.

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बात है 1972 की जब दिल्ली में जनसंख्या बढ़ने लगी और केंद्र सरकार को इसके आसपास के बाहर से आने वाले लोगों के आने का खतरा बढ़ने लगा था. तब यूपी ने साल 1972 में 50 गांवों को यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया घोषित कर दिया गया. ये फैसला 7 मार्च  1972 को लिया गया. UP Regulation of Building Operation Act 1958 के तहत ये घोषणा की गई. 

साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान दक्षिण दिल्ली के ओखला इंडस्ट्रियल एरिया को UP Industrial Act 1976 के तहत नोएडा घोषित किया गया. इस शहर को बसाने के लिए नोएडा अथॉरिटी की स्थापना हुई. जिसके नाम पर ही शहर का नाम भी नोएडा रखा गया. इस दिन को नोएडा डे के नाम से मनाया जाता है. लेकिन हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे बसा ये नोएडा शहर. 

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1975 की बात है जब बुलंदशहर के जिलाधिकारी धीरेंद्र मोहन मिश्रा को नोएडा का ब्लूप्रिंट तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया था. धीरेंद्र मोहन मिश्रा 14 अप्रैल 1975-26 अप्रैल 1976 तक बुलंदशहर के डीएम रहे और इस बीच 17 अप्रैल 1976 को नोएडा की घोषणा की गई. 

डीएम धीरेंद्र मोहन मिश्रा ने 10 मई 1976 ने नोएडा के सीईओ का पद भी संभाला था. उस समय नोएडा का चार्ज सचिव उद्योग के पास ही रहता था. जिस दिन नोएडा के बनने की घोषणा की गई उससे पहले 36 गांवों की जमीन को जब्त करने का नोटिस जारी किया गया था. 

कई ऑफिस बदले गए
नोएडा को बनाने का सबसे पहला प्लान दिल्ली के कनोट प्लेस के यूपी इन्फॉर्मेशन सेंटर में 17 अप्रैल से भी पहले ही बनने लगा था. यहां इन्फॉर्मेशन विभाग कुछ मेज और कुर्सियों को लेकर दफ्तर मे बैठने भी लग गए थे. इसके बाद इस दफ्तर को नरेंद्र प्लेस में शिफ्ट किया गया था. इसके बाद ऑफिस यहां से टॉलस्टाय मार्ग पर शिफ्ट किया गया. और इसके बाद जहां नोएडा अथॉरिटी का दफ्तर हैं वहां पहले कैनरा बैंक का दफ्तर हुआ करता था. इस बिल्डिंग को कैनरा बैंक से खरीदा गया ये बिल्डिंग लेकर उसे सामने की बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया. अब नोएडा ऑथोरिटी का ऑफिस उसी केनरा बैंक से ली गई बिल्डिंग में चल रहा है.