भारतीय महिलाएं 'जनेऊ' क्यों नहीं धारण करती

PUSHPENDER KUMAR
Nov 25, 2024

धार्मिक परंपरा

शास्त्रों के अनुसार जनेऊ पुरुषों के लिए अनिवार्य धार्मिक चिह्न है, जबकि महिलाओं के लिए अलग रीति-रिवाज हैं.

शिक्षा का संदर्भ

प्राचीन काल में जनेऊ धारण करना गुरुकुल में प्रवेश और वेदाध्ययन का प्रतीक था, जो पुरुषों तक सीमित था.

महिलाओं के लिए वैकल्पिक नियम

धार्मिक कर्मकांड में महिलाओं के लिए जनेऊ की आवश्यकता नहीं मानी गई है.

सामाजिक संरचना

पुरातन काल में महिलाओं को परिवार और गृहस्थी के कर्तव्यों में अधिक केंद्रित माना जाता था.

शारीरिक संरचना का सम्मान

महिलाओं के विशेष मासिक धर्म चक्र के कारण, उन्हें अलग-अलग धार्मिक नियमों का पालन करने की सलाह दी गई.

आध्यात्मिक स्वतंत्रता

महिलाओं को धार्मिक कर्मों में जनेऊ के बिना भी समान अधिकार और महत्व दिया गया.

संतुलन का विचार

हिंदू परंपराओं में पुरुष और महिला की भूमिकाओं को अलग-अलग परिभाषित किया गया है.

आधुनिक दृष्टिकोण

आजकल कई महिलाएं समानता के आधार पर जनेऊ धारण करने की मांग कर रही हैं.

अनुष्ठानों में सहभागिता

महिलाओं को धार्मिक अनुष्ठानों में बिना जनेऊ के भी सम्मिलित होने की अनुमति है.

व्यक्तिगत पसंद

आधुनिक समय में यह एक व्यक्ति की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर निर्भर करता है.

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