रामानंद सागर के पोते अमृत सागर 2004 में एक फिल्म निर्माण का विचार और कहानी लेकर मनोज वाजपेयी से मिले. मनोज ने कहानी सुनी और इनकार कर दिया.
Gangesh Thakur
Apr 01, 2023
अमृत सागर
अमृत सागर को इनकार करते हुए मनोज ने कहा कुछ समय लीजिए पर अच्छी कहानी लाइए, इसके बाद वह मनोज के पास मोतीलाल सागर की लिखी एक कहानी के साथ पहुंचे जो भारत-पाक युद्ध के 6 कैदियों की कहानी थी.
पीयूष मिश्रा
मनोज ने कहानी सुनते ही हां कर दी, लेकिन अमृत को पता था की कहानी युद्ध पर केंद्रित है तो इसके निर्माण में खर्च बड़ा आएगा. पर जब मनोज ने उन्हें समझाया तो वह तैयार हो गए और फिल्म-स्क्रिप्ट लिखने का काम मनोज के दोस्त पीयूष मिश्रा को मिल गया.
रवि किशन
पीयूष मिश्रा ने जब कहानी लिखकर पूरी कर दी तो फिल्म का नाम रखा गया '1971', फिर शुरू हुए कलाकारों के चयन की प्रक्रिया. जिसमें मनोज वाजपेयी, पीयूष मिश्रा, दीपक डोबरियाल, रवि किशन और मानव कौल जैसे कलाकारों को चुना गया.
1971
'1971' की कहानी ऐसे लिखी गई थी कि इसमें एक भी अभिनेत्री नहीं थी. फिल्म की शूटिंग 2005 में पूरी हुई और 2007 में इसे रिलीज किया गया. फिल्म को दर्शक मिले ही नहीं और फिर क्या था फिल्म कई फिल्मों की तरह गुमनाम हो गई.
नेशनल अवॉर्ड
मनोज वाजपेयी के कहने पर इस फिल्म को अमृत ने 2008 में नेशनल अवॉर्ड के लिए भेज दिया लेकिन किस्मत यहां भी खराब उस साल राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा ही नहीं हुई. 2009 में जब घोषणा हुई तो फिल्म ने दो नेशनल अवॉर्ड जीते. बेस्ट हिंदी फिल्म और बेस्ट ऑडियोग्राफी के लिए इसे पुरस्कार मिला.
लॉकडाउन
फिर फिल्म '1971' को सब भूल गए लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब सभी घरों में कैद थे तो किसी ने मनोज वाजपेयी से इस फिल्म को देखने की इच्छा जताई. मनोज ने उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए इसे अमृत सागर को टैग कर दिया.
हंगामा
अमृत सागर ने फिल्म '1971' को अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर दिया और फिर क्या था फिल्म ने ऐसा हंगामा मचाया कि आज भी इसका शोर थमने का नाम नहीं ले रहा है.