बाढ़ अनुमंडल के बख्तियारपुर के मिस्सी गांव की रहने वाली दिव्यांग लड़की गोल्डी ने 13वीं बेंगलुरु पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप की जूनियर कैटेगरी में तीन मेडल जीतकर सफलता का परचम लहराया है. गोल्डी ने डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल और शॉट पुट व जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल हासिल किया. 1 साल की उम्र में एक ट्रेन हादसे में अपनी मां को खोने और एक हाथ गंवाने के बावजूद गोल्डी ने खेल में करियर बनाने का संकल्प लिया और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. गोल्डी का बचपन गरीबी में बीता, उसके पिता किसान हैं और उसका पालन-पोषण नानी के घर हुआ. स्कूल में उसकी खेल प्रतिभा को गेम टीचर कुंदन पांडे ने पहचाना और प्रशिक्षण देना शुरू किया. तीन बहन और एक भाई में सबसे बड़ी गोल्डी बिहार के युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ते देखना चाहती है और उसका सपना पैरा एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करना है.