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pregnant woman: भगवान शिव ने सर्प को अपने गले का आभूषण बना रखा है. बता दें कि सावन के इस पावन महीने में शिव के साथ ही सांपों की पूजा का भी विधान है. वैसे भी सांपों को हमारे धर्मग्रंथों में एक अलग स्थान प्राप्त है. भगवान विष्णु शेषनाग की सैय्या पर सोते हैं तो वहीं शिव के गले में खुद ही सर्प लिपटे हुए रहते हैं ऐसे में उनकी पूजा हमेशा से की जाती रही है. ऐसे में सन्तान धर्म में कई आयोजनों पर सांप को दूध पिलाने की भी परंपरा है. कहते हैं इससे कुंडली में व्याप्त कालसर्प दोष की परेशानी से मुक्ति मिलती है.
वैसे इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि गर्भवती महिलाओं को जहरीला सांप नहीं काटता है. यह कथन कहां तक सत्य है इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है. लेकिन, पौराणिक ग्रंथों में इस बारे में जरूर लिखा गया है. ऐसे में इसके पीछे की अब कुछ वैज्ञानिक कारणों की भी पुष्टि हुई है.
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ब्रह्मवैवर्त पुराण की मानें तो एक कथा प्रचलित है कि एक गर्भवती महिला शिव भक्त थी और वह शिव की उपासना कर रही थी उस दौरान उसे सर्पों ने परेशान करना शुरू कर दिया. इस दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे ने अपनी मां को परेशान होता देखा और सांपों को श्राप दे दिया कि वह जब भी किसी गर्भवती महिला को काटेगा अंधा हो जाएगा. ऐसे में तब से यह कहानी प्रचलित है और आज भी समाज में इसके बारे में सुना जा सकता है.
अब इसके वैज्ञानिक कारण पर गौर करें तो महिला के गर्भवती होने की स्थिति में उसके शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं. ऐसे में सांप महिलाओं के शरीर में आए इस बदलाव को भांप लेते हैं और फिर उनके आसपास भी नहीं फटकते हैं. हालांकि विज्ञान की तरफ से इस पूरी तरह प्रमाणित नहीं किया गया है.