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Anant Chaturdashi: भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा. आपको बता दें कि इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है. अनंत चतुर्दशी के त्योहार को उदयव्यापिनी तिथि पर मनाया जाता है. बता दें कि बप्पा की विदाई के दिन भगवान श्री हरि विष्णु अनंत भगवान की पूजा होती है.
इस अनंत चतुर्दशी के व्रत को लेकर शास्त्रों में वर्णित है कि इस व्रत के बाद छात्र जिस भी विषय का ज्ञान अर्जित करना प्रारंभ करेंगे. उन्हें उसका उत्तम ज्ञान अवश्य प्राप्त होगा. जो धन की इच्छा रखते हैं उनपर श्रीहरि विष्णु की ऐसी कृपा बरसेगी की उनका जीवन सुख और संपत्ति से भर जाएगा. ऐसे में इस व्रत का विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए 14 वर्षों का अखंड व्रत करना चाहिए.
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अनंत चतुर्दशी के दिन नित्यक्रिया से निवृत होकर स्नानादि कर पवित्र होकर व्रत का संकल्प भगवान हरि विष्णु को ध्यान में रखकर लेना चाहिए. उसके बाद किसी मंदिर, नगी, सरोवर या घर में पूजा स्थान को लीपकर वहां सर्वतोभद्र मंडल का निर्माण करना चाहिए. फिर वहां कलश स्थापित करना चाहिए और भगवान श्री विष्णु की शेषनाग के छत्र वाले अनंत स्वरूप प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए.
इसके बाद वहां प्रतिमा के समक्ष चौदह गांठों वाला रेशम के धागे या कच्चे सूत वाला अनंत रखना चाहिए. बता दें कि इन चौदह गांठों के पीछे का रहस्य यह है कि इसमें चौदह देवताओं का स्थान माना गया है. इसके बाद गवान अनंत की पूजा सभी विधि-विधानों से करना चाहिए. इसके बाद कथा सुनें. इसके बाद हवन करें और फिर दान करें. इसके बाद केले के पेड़ का भी पूजन करना चाहिए, इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और फिर व्रत का समापन करें. इस दिन नमक का प्रयोग खाने में नहीं करना चाहिए. पूजन समाप्त होने के बाद अनन्त को पुरुष दाहिने और स्त्री बाईं भुजा पर बांध लें. ऐसे में अनंत फल की प्राप्ति की इच्छा रखनेवाले जातकों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए.