विश्व आदिवासी दिवस आज, जंगलों पर आधारित उत्पाद पर निर्भर रहने को मजबूर गुमला के आदिवासी
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विश्व आदिवासी दिवस आज, जंगलों पर आधारित उत्पाद पर निर्भर रहने को मजबूर गुमला के आदिवासी

World Tribal Day: आज विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है. सरकार एवं जिला प्रशासन को जंगल और पहाड़ के बीच में आकर आदिवासी दिवस मनाना चाहिए.

विश्व आदिवासी दिवस आज, जंगलों पर आधारित उत्पाद पर निर्भर रहने को मजबूर गुमला के आदिवासी

गुमला: आज पूरे झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है. गुमला जिले में अधिकांश जनसंख्या आदिवासी बहुल की है. यहां 70% से अधिक आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं, लेकिन आज भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. पूर्व की भांति आज भी जनजाति समुदाय के लोग जंगलों से उत्पादित वस्तुओं पर अपनी जीविका चलाते हैं. यहां तक आदिवासियों को सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं मिल पाया है. वह जंगल से लकड़ी काटकर जीविका के लिए थोड़ी सी पैसा कमा लेते हैं. आज भी गुमला के आदिवासी  कृषि पर आधारित जीवन यापन कर रहे हैं.हालांकि आदिवासियों के उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई योजनाएं आजादी काल से चला रहा है परंतु आदिवासियों की दशा एवं दिशा अभी घोर अभाव में जीने को विवश है.

जंगल मनाया जाए आदिवासी दिवस
सरकार हमेशा ये दावा करती है कि आदिवासियों का विकास हुआ है, लेकिन अधिकांश आदिवासी विशेषकर आदिम जनजाति के लोग घोर भाव के साथ जीवन बसर कर रहे हैं. राज्य मुख्यालय एवं जिला मुख्यालय में लाखों रुपए खर्च कर आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन जंगल और पहाड़ में रहने वाले आदिवासी आज भी अच्छे खाने को लेकर तरस रहे हैं. आदिवासियों का मानना है कि उनके हित के लिए जो योजनाएं बनाई जा रही है. सरकार एवं जिला प्रशासन को जंगल और पहाड़ के बीच में आकर आदिवासी दिवस मनाना चाहिए.  ताकि सही मायने में आदिवासियों को इसका कुछ लाभ मिल सके. 

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कई कार्यक्रमों का आयोजन 
वहीं दूसरी तरफ राजधानी रांची में विश्व आदिवासी दिवस पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. इस मौके पर आदिवासी समुदाय के लोग झूमते गाते और नृत्य करते हुए नजर आए. उनका कहना है जल जंगल जमीन और आदिवासी की अस्मिता की रक्षा के लिए लगातार आदिवासी समाज संघर्ष करता रहा .कार्यक्रम में आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए.

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